नोएडा ग्रेटर नोएडा और यमुना प्राधिकरण मे हुए भूमि घोटालों का प्रदा देर से ही सही लेकिन धीरे धीरे उठने लगे है । हालांकि पहले यह अनुमान 54 हजार करोड़ की लगाई जा रही थी जो की अब बढ़कर 1 लाख करोड़ से ज्यादा होने की अनुमान cag के ऑडिट रिपोर्ट से सामने आए है। नोएडा की खबर को प्राथमिकता से प्रकाशित करने वाली एक वेबसाईट tricity। com के मुताबिक इसमे वर्तमान मे सत्तारूढ पार्टी मे शामिल पूर्व मंत्री का बाद हिस्सा या संरक्षण बताया जा रहा है ।
हालांकि यह सवाल पहले भी उठते रहे है की क्या इतना बड़ा घोटाला सिर्फ फ़ोर्थ क्लास के ऑफिस और निचले रैंक के क्लर्क ने मिलकर कर दिया होगा। 2002 से लेकर 2017 तक की हुए ऑडिट रिपोर्ट से पहले ही माननीय उच्च न्यायालय ने मुख्य सचिव स्तर से जांच कराए जाने की आदेश दिया था लेकिन 2011 से लेकर 2022 तक कई बार जांच करने और कार्यवाही करने की बात सामने आई है लेकिन नतीजा अभी तक शून्य है ।
दोषी अफसर रिटायर हो गए और कुछ सत्ता के सरक्षण मे सुख भोग रहे है वही उस समय सत्ता मे विराजमान बीएसपी उसके बाद एसपी और अब बीजेपी मे अपनी पैठ बनाकर नेताजी कार्यवाही से बचते रहे है । लोगों का मानना है की ऐसे नेताओ के किसी भी राजनीतिक विचार धारा से कोई लेना देना नहीं है । यह लोग सिर्फ अपने सरक्षण के लिए पार्टी बदलते रहते है ।
ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी मे इस घोटाले के कारण लाखों करोड़ की चुना लगाया गया। निश्चित तौर पर प्राधिकरण की भूमिका पूरे मामले मे एक बेचारा बनकर रह गया है। लेकिन यह अनदेखी सत्ता पक्ष के दबाव किया गया या फिर निजी हित साधने के लिए ।
जमीन पर भूमाफिया के कब्जे से कैग और सरकार दोनों परेशान
महालेख परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट मे इस घोटाले का उजागर किया है । इसके साथ ही कैग ने सरकार से यह भी सिफारिश की है कि प्राधिकरण जमीन से कब्जा हटवाये । शासन भी इस पर लगातार चिंता जाहीर करता रहा है । लेकिन प्राधिकारण मामले को लेकर इतना गंभीर नहीं है । प्राधिकारण कर्ज मुक्त हो सकती है अगर इस भूमि को खाली करवा लिया जाय । वर्तमान समय मे प्राधिकारण 6500 करोड़ की कर्जे मे दबा हुआ । इस जमीन की मौजूद बाजार कीमत करीब 1 लाख करोड़ से ज्यादा है ।