हिंद की यूपी मानव विकास का पौराणिक तथा आविष्कारी प्रमाण

यूपी जाकर जरा देखिए
सभ्यता से भरा पड़ा यूपी अंधकार की हर प्यास को बुझा तन से मन तक तृप्त जरूर
कर देगी।
यूपी का सच जो हर आविष्कार हर धर्म से बड़ी है। यूपी उत्तर प्रदेश की दास्तां अजीबो गरीब है। एक समय काल में मानव सभ्यता विकास का स्वर्ण युग रहा यूपी शोषण, दर्द, हत्याएं, कुकर्म जातिवाद, धार्मिक कट्टरवाद, लंबे समय तक गुलामी झेली है। मगर अपनी पहचान नहीं खोई। यूपी मानव संस्कृति, सभ्यता के निर्माण, उत्थान, विकास के लिए विश्व ख्याति प्राप्त है। भले इसे स्वीकार नहीं की जाए परंतु जात के नाम पर धर्म के नाम पर यूपी में जितनी हत्या हुई है यही कार्य कहीं दूसरे स्थानों में होती वहां क्या सभ्यता क्या संस्कृति का निर्माण होता। वहां की मानव जाति का ही विनाश हो जाता। परंतु ऐसा हुआ नहीं ऐसा नहीं हुआ। हां कांटो की राह नेशनल हाईवे की तरह लंबी जरूर रही मगर इतनी लंबी नहीं की दूरी पूरी न की जा सके। हर बार लूटी गई यूपी पुनः दमदार प्रगतिशील व्यवस्था लेकर मानव को जगाया है। सभ्यता संस्कृति को स्वच्छता पवित्रता से कुछ कर गुजरने कि जिंदा सोच दी है। एक सभ्यता हारी सनातन नामक महासागर से तुरंत पुनः कई सभ्यता संस्कृति अपनी पहचान इसी यूपी में बनाई तथा पाई। हमलावरों तथा धार्मिक कट्टरवादियों ने जितनी यूपी को मिटाने की कोशिश की यूपी उतनी ही स्वच्छ पारदर्शी व्यवस्था लेकर ध्रुव तारे की तरह जगमगाती नजर आई। सनातनी की मानी जाए तो हिंद की यूपी वाली भूमि में ही सर्व प्रथम इस्वारो का स्वर्ग था जहां ईश्वर निवास किया करते थे। यानी यूपी पूर्ण रूपेण देवभूमि थी। आज भी यूपी के मिट्टी की खुशबू लगभग इंडिया के हर कोने में महसूस की जा सकती है। न्याय करने में यूपी वासी इंसाफ की तराजू हैं जो सनातनीयो कि हर धर्म हर व्यवस्था हर सभ्यता संस्कृति को अपनी गोद में जीवित रखे हुए हैं। साथ ही साथ ईश्वर का आशीर्वाद यूपी को ऐसा प्राप्त है कि हर संसाधन वहां उपलब्ध है । आपको क्या लगता है कि गंगा यूपी की सुख कर विलुप्त हो जाएगी। तो आप पुराने जमाना क्या कहिए किसी जमाने के नहीं। सच्चाई है कि गंगा अपनी धारा बदलती रहती है तब हम कम से कम सनातनी तो इस तथ्य पर गौर करे। यहां धारा बदलना का यह मतलब नहीं कि जहां गंगा बह रही है बस उसी के बगल में ही गंगा धारा बदलेगी। गंगा की उत्पत्ति का वर्णन जो हिंदू काव्यों में है वह यह कि पूरी पृथ्वी ही गंगा की धारा के रास्ते हैं। स्रोत हैं। जिसमें से चुकी शिव ऐसे उपासक तथा अविष्कारक उस समय अवधि में हिमालय यूपी वाली स्थान में रहा करते थे। अपनी आविष्कारों से गंगा को हिमालय से निकालकर बंगाल की खाड़ी में मिला दिया और बाकी पानी को बांध बनाकर अपने बालों संग मस्तक पर गंगा की धारा को नियंत्रित कर दिया। बस एक धारा हिमालय से बंगाल की खाड़ी तक छोड़ दिया जहां मानव सभ्यता पृथ्वी के हर अस्तित्व तक जीवित रहे। जो हमारी हिन्द वासियों की मां है। गंगा मां इसलिए है कि पूरे विश्व में भी अगर मानव का बिनाश हो जाए। परंतु हिंद की हिमालय की गंगा अपने गोद में अपने घर आंगन में हर कायरता पूर्ण कुरुरतापूर्ण अस्तित्व विहीन विचारधारा को हराकर मां की तरह मानव जन्म देती रहेगी। मानव सभ्यता गंगा की यूपी में हमेशा हमेशा फलती फूलती रहेगी। इसलिए वैज्ञानिक हो या विद्वान यह मन से निकाल दें कि गंगा एक न एक दिन सुख कर विलुप्त हो जाएगी। हां ऐसा भले हो सकता है कि वर्तमान के गंगा की धारा का पथ वाली पानी भविष्य में सूख जाए मगर ऐसा नहीं हो सकता कि शिवजी के आविष्कार से जो गंगा का पथ बना है वह विलुप्त हो जाए। शिवजी ने गंगा की धारा के पथ का मार्ग भूगोल के वातावरण से आखों से ओझल छिति, जल पावक ,गगन ,समीरा के मिश्रण से बनाया है इसे तोड़ने की औकात इंसान क्या ईश्वर के भी पास नहीं ।एक पथ रुके गा पृथ्वी पर ऐसे ऐसे अनगिनत पथ गंगा से बंगाल की खाड़ी तक बना दी है। जो अदृश्य के सिद्धांतो से बनी है सब कहते हैं। वह ईश्वर है।
ईश्वर हैं क्या पता मुझे मगर आदि से अंत तक सोच रखने वाले वैज्ञानिक भी थे। जिनके जैसा बांध बनाने का तकनीक आज के आधुनिक युग में इंडिया ही नहीं दूसरा और कोई नहीं बना पाया। गंगा ही नहीं अनेका अनेक नदियां हैं यूपी में जो सर्व धर्म सम्मेलन की तरह नदियों का अद्भुत संगम है । जो हर हाल में मानव विकास की सहायक रहेगी। कृषि की बात की जाए तो यूपी का जोड़ इंडिया ही नहीं पूरे विश्व में कहीं नहीं। हां ठीक है कि अनाज कहीं और यूपी से ज्यादा होती होगी। मगर अनाजों की वैरायटी सबसे अधिक यही है। मानव के उत्थान में सांसारिक जीवन का मूल योगदान है और सांसारिक जीवन भी कभी अस्तित्व विहीन ना हो इसलिए कुदरत ने यूपी को चावल, गेहूं के रूप में ऐसा वरदान दिया है कि मानव सभ्यता संस्कृति जीवित रहे। इसलिए सांसारिकता के मानव इसे अपने दिनचर्या में शामिल कर हमेशा फलते फूलते रहे। अगर किसी कारणवश पृथ्वी का विनाश होने को भी अगर संभव हो तब यही यूपी की मानव अपनी सकारात्मक ऊर्जा से वैसे अविष्कार कर लें जिससे पृथ्वी अपनी विनाश शब्दकोश में असंभव को भी जोड़ कर रखे हुए रहे। ऐसे यूपी का विकास धर्म जाति से ऊपर उठकर होना चाहिए। अरे यूपी जब मानव सभ्यता अनंत तक के लिए जिंदा रखने के लिए वचनबद्ध तथा सक्षम है। तब यूपी के वासी अपना विनाश क्यों करें ? यूपी जाग गई है। यूपी की विनाश वाली काली डरावनी अंधकारो के बीच ईश्वरीय सकारात्मक रोशनी सूर्य का सक्ल ले सुबह की उजाला ले आई है। बस यूपी वासी इसे पूरे विश्व के लिए विकास, उत्थान को अपना कर्तव्य समझे। यूपी की स्पेशलिटी है न्याय के लिए धर्म का साथ देने का। बस उस पथ पर दो हाथ नहीं चार हाथ नहीं यूपी का हर हाथ संघर्ष पथ के जातिवाद एवं धार्मिक कट्टरवाद के कांटे चुनकर इंडिया के बाहर फेंक दें। जिससे हर मानव जाति का प्यार तथा खुशियों से भर जाए ।


जय हिंद
कुमार गौरव
पड़रिया
इमामगंज
जिला गया बिहार