*समाज जागरण*
*मनोज यादव ब्यूरो अमेठी*
बाजार शुक्ल अमेठी। विकासखंड की 54 ग्राम पंचायतों ने बीते वर्ष धरती को हरा भरा करने में करोड़ो रुपये खर्च कर दिया। ग्रामसभा की खाली पड़ी जमीन हो या फिर तालाब का किनारा अथवा विद्यालय परिसर सभी जगह पर योजना के धन से पौध इस बार भी रोपित किए जाएंगे। जो कुछ दिनों बाद हर बार की तरह नजर नहीं आते। सही मायने में धरती में हरियाली आए या न आए पर जेबों में हरियाली आना तय है।एक बार फिर पौध रोपण के लिए भारी भरकम बजट तैयार है। पौधरोपण सप्ताह मनाते हुए प्रत्येक ग्राम पंचायत में पौध रोपण पर खर्च करने की तैयारी भी कर ली गई है। सब कुछ तय होने के साथ ही हरियाली के नाम पर धन को ठिकाने लगाने के लिए विभागीय जिम्मेदारो के बीच वार्ता शुरू होना तय माना जा रहा है। इतना ही नहीं पौधों के सरंक्षण के लिए मजदूर भी कागजों पर ही नजर आते हैं। घटते वनक्षेत्र और पर्यावरण संतुलन को देखते हुए शासन द्वारा प्रत्येक वर्ष पौधरोपण के लिए अभियान चलता है। इसके तहत ग्रामसभा से लेकर उनके मजरों तक की खाली जमीनों पर पौधरोपण किया जाता है।
पौधों का पता नहीं देखरेख करने वाले पा गए मजदूरी
पौधरोपण को लेकर सबसे मजेदार बात यह है कि प्रत्येक वर्ष पौधों के देखरेख और सिचाई कराने के लिए मजदूरों की भी तैनाती की जाती रही है। इसके बावजूद गांवों में पेड़ नहीं है। फिर भुगतान मजदूरों के नाम पर किया गया। शायद यही कारण है कि यह सवाल आते ही प्रधान और कर्मचारी बगले झांकने लगते हैं।
उन्हीं स्थानों पर हो रहा हर वर्ष पौधरोपण
लगभग प्रत्येक वर्ष होने वाले पौधरोपण अभियान में स्थान का चयन ही सारी पोल खोलने के लिए काफी है। जानकारों की माने तो लगभग हर बार स्कूल, पंचायत भवन से लेकर दूसरे खाली स्थानों पर पौध रोपण हर बार किया जाता है। लेकिन जब उन स्थानों पर देखा जाए तो पौधे वहां पर नजर नहीं आते हैं। मजे की बात यह है कि इस हकीकत को देखते के बाद भी अधिकारी मौन रहते हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर हर बार रोपित होने वाले पौधे गए तो कहा गए जब उनकी देखरेख के नाम पर भी बराबर धन खर्च होता रहा।
ग्रामसभाओं में पौधरोपण पर खर्च की तैयारी
बीते वर्षो के भांति इस वर्ष भी वृक्षारोपण का खेल शुरू हो चुका है वृक्षारोपण सप्ताह मनाया जा रहा है। प्रत्येक ग्रामसभा में पेड़ रोपित किये जाने के आदेश भी आ गए हैं। अपने मौजूद कार्यकाल की पारी खेल रहे प्रधानों को एक बार फिर हरियाली के नाम पर खेल खेलने का मौका हाथ आ गया है। वैसे मनरेगा के तहत पौधरोपण के नाम पर आईडी सृजित की जा रही है। गांवों में पौधरोपण सप्ताह मनाने का जोश पैदा हो गया है।
