ब्यूरो चीफ़ सोनभद्र। दैनिक समाज जागरण
सोनभद्र/ घोरावल। उत्तर प्रदेश के जनपद सोनभद्र जो अपने आप में आध्यात्मिक, पौराणिक, सांस्कृतिक, धार्मिक, प्राकृतिक धरोहरों को समेटे है जो पूरे भारत में अपनी अलग ही पहचान रखने वालों जनपदों में एक है जहा चार बड़े प्रदेश कि सीमा से मध्यप्रदेश, झारखंड, विहार, छत्तीसगढ़ सटा हुआ जनपद हैं जहा कि तमाम प्राकृतिक एवं आध्यात्मिक कथाएं हैं जिसे तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू जी ने सोनभद्र को मिनी स्विट्जरलैंड ऑफ़ इंडिया भी कहा बताते चले कि जनपद सोनभद्र में स्थित अति प्रसिद्ध मंदिर स्थल शिवद्वार धाम है जहां पर उमा महेश्वर अत्यंत सौंदर्य विश्व प्रसिद्ध प्रतिमा 11वीं शताब्दी की विराजमान है जो गुप्तकाशी का प्रवेश द्वार भी कहा जाता है शिवद्वार धाम में श्री शिव शंकर राम लीला समिति जो काफी लंबे समय से धार्मिक आस्था से उत्प्रोत भगवान उमा महेश्वर के दरबार शिव द्वार मंदिर पर सन 1950 से प्रायोगिक रूप से रामलीला मंचन प्रारंभ कर दिया गया जिसके प्रेरक संस्थापक स्वर्गीय राम लखन तिवारी जी ग्राम भुरकुंडा शाहगंज सोनभद्र ने श्री शंकर रामलीला समिति का न्यू रखा और रामलीला का विस्तृत रूप सन 1962 में क्षेत्रीय गणमान्य लोगों के शारीरिक मानसिक आर्थिक सहयोग से गठन करके रामलीला को एक निरंतर चलाई जाने हेतु अंत्य महत्वपूर्ण विचारक एवं लगन पूर्वक रामलीला के मंचन के लिए लोगों ने अपना अमूल्य समय व सहयोग प्रदान करते हुए रामलीला के परंपरा को प्रारंभ कर दिया प्रथम संस्थापक स्वर्गीय अक्षय वर्मा मिश्र निवासी मझिगवा मिश्र द्वितीय संस्थापक हरि गोविंद त्रिपाठी भुरकुंडा शाहगंज और तृतीय संस्थापक स्वर्गीय श्यामधर मिश्रा ने इस रामलीला को परंपरागत रूप से चलाई जाने में अपना सर्वस्व न्योछावर करके पूरा योगदान दिया वर्तमान समय में देखा जाए तो रामलीला के सबसे बड़े संरक्षक या सहयोगी श्री जमुना प्रसाद मिश्र मझगवां मिश्र अवध बिहारी शुक्ला शिव द्वार राम पत्री त्रिपाठी तमिल चितरंगी मध्य प्रदेश गम विश्वकर्मा सतवारी कमलाकांत मिश्र सत्तद्वारी ने अपना लंबा समय रामलीला समिति को प्रदान किया रामलीला समिति के पदाधिकारी गण में 25 वर्षों का समय श्री श्रीकांत दुबे जी गांव कुंडा थाना घोरावल जनपद सोनभद्र प्रबंधक राजेश्वर राम शुक्ला शिवद्वार मंच के संयोजक सच्चिदानंद मिश्र ने श्री शंकर रामलीला समिति के संचालन में अपना सहयोग प्रदान कर रहे हैं रामलीला समय के मध्य में बात करें तो श्री सेतबंधु तिवारी श्री लाल धारी दुबे केवलदत्त मिश्रा संतराम गिरी, राम प्यारे मिश्रा, जय प्रसाद मिश्र, रामदेव गुप्ता, कुंज बिहारी, शुक्ला, वर्तमान में जगदीश मिश्रा, रविकांत मिश्रा, नंदकुमार मिश्रा ,अमित मिश्रा, गोपालमणि शुक्ला, नंदकुमार दुबे, धीरेंद्र मिश्रा, वृजेश शुक्ला, ओम प्रकाश, दयालु , अनंत प्रसाद, अंगद विश्वकर्मा, लाल बहादुर शर्मा, रविंद्र नाथ पाठक, गुड्डू विश्वकर्मा, बुलबुल, अमित, विनीत, सूर्यकांत, राजेंद्र पाल आदि व्यक्तियों ने श्री शंकर रामलीला समिति के मंचन एवं संचालन में अपना पूर्ण सहयोग प्रदान कर रहे हैं रामलीला के 76 व वर्ष जो की काफी लंबे समय से इस धार्मिक सामाजिक एवं आस्था के अनुरूप कई पीढियां ने भगवान के मंचन में अपना अत्यंत महत्वपूर्ण सहयोग दिया है कुछ तो निरंतर सेवा अर्पित कर रहे हैं और जो व्यक्ति भगवान के लीला को करते-करते शरणार्थी (ब्रह्मलीन) हो गए उनके वंशजों द्वारा पूर्ण निष्ठा के साथ भगवान के लीला में अपना पूर्ण सहयोग प्रदान किया जा रहा है बताते चलें कि सोनभद्र का यह पहले ऐसा आयोजन है जो की अपने आप में अत्यंत अद्भुत एवं प्राचीन परंपराओं के क्रम में लीला को भक्तों के समक्ष मंच के माध्यम से मंचन किया जा रहा है प्राप्त जानकारी के अनुसार श्री शंकर रामलीला समिति के अध्यक्ष श्रीकांत दुबे जी ने बताया कि इस रामलीला को प्रत्येक वर्ष हमारी टीम अथक परिश्रम और प्रयास करके और बेहतर बना रही है जहां जो भी अवस्थाएं एवं समस्याएं होती हैं उसका हम लोग प्रत्येक वर्ष 6 से 7 बैठक करके उन समस्याओं पर चर्चा कर उसको निस्तारित करते हैं और जहां जो चीज आवश्यक हैं उसके लिए विचार विमर्श करके सर्व सहमति से समाज में अपने सेवा को अर्पित करते हैं भगवान उमा महेश्वर शिवद्वार धाम जो कि अपने आप में पूरे विश्व में एसी अद्वितीय प्रतिमा है जिसका धार्मिक मान्यता व शास्त्रीय बहुत से व्याख्यान भी है धर्म ग्राथो में भगवान के इस रूप का वर्णन तो मिलता है परंतु दर्शन बहुत दुर्लभ हैं जो एक मात्र शिवद्वार धाम जनपद सोनभद्र में ही संभव है।
