सर्दी-खांसी और श्वसन समस्याओं वाले मरीजों की निगरानी को लेकर सख्त निर्देश, एचएमपीवी वायरस से बचाव के आसान उपाय बताए गए।
अररिया/डा. रूद्र किंकर वर्मा।
देश के विभिन्न राज्यों में एचएमपीवी (ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस) के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी देखी जा रही है। यह वायरस, कोरोना की तरह ही ऊपरी और निचले श्वसन पथ में संक्रमण फैलाता है, और इसके लक्षण सामान्यत: सर्दी, खांसी और बुखार जैसे होते हैं। हालांकि, यह वायरस पांच साल से कम उम्र के बच्चों, कमजोर इम्यूनिटी वाले व्यक्तियों और बुजुर्गों के लिए स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्याएं उत्पन्न कर सकता है। इस बढ़ते खतरे को देखते हुए राज्य सरकार ने सभी जिलाधिकारियों और सिविल सर्जनों को एक एडवाइजरी जारी की है, जिसमें संबंधित मामलों पर सतर्कता बनाए रखने और तत्काल कदम उठाने के निर्देश दिए गए हैं।
स्वास्थ्य अधिकारियों का बयान: घबराने की जरूरत नहीं
सदर अस्पताल के प्रभारी अधीक्षक डॉ. आकाश कुमार राय ने बताया कि एचएमपीवी वायरस कोई नया वायरस नहीं है, और देश में 2001 से इसके मामले सामने आ रहे हैं। उन्होंने कहा, “इस वायरस के बारे में घबराने की आवश्यकता नहीं है, लेकिन सतर्क रहना बेहद जरूरी है। यह वायरस किसी भी उम्र के व्यक्ति को प्रभावित कर सकता है, लेकिन विशेष रूप से 5 साल से छोटे बच्चे, 65 साल से ऊपर के बुजुर्ग और कमजोर इम्यूनिटी वाले लोग इससे ज्यादा प्रभावित हो सकते हैं।”
एचएमपीवी का प्रसार और इसके नियंत्रण के उपाय
डॉ. राय ने बताया कि यह वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में खांसने, छींकने और सीधे संपर्क से फैलता है। सर्दी के मौसम में इसके मामलों में वृद्धि होती है, जबकि वसंत ऋतु में इसका प्रसार कम हो जाता है। उन्होंने यह भी कहा कि हालांकि यह वायरस सामान्यतः हलके लक्षणों के साथ होता है, लेकिन इसे नियंत्रित करने के लिए कुछ आसान उपाय किए जा सकते हैं, जैसे हाथों की नियमित सफाई, संक्रमित व्यक्ति से दूरी बनाए रखना, और खांसी व छींक के दौरान मुंह को रुमाल से ढकना।
स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी दिशा-निर्देश
सिविल सर्जन डॉ. केके कश्यप ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग ने इस वायरस से संबंधित मामलों की निगरानी के लिए सभी स्वास्थ्य अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए हैं। ओपीडी में सांस संबंधी समस्याओं वाले मरीजों की निगरानी करने, खांसी और जुकाम से संबंधित मामलों पर विशेष ध्यान देने और किसी भी संदिग्ध मरीज का तत्काल परीक्षण सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं। डॉ. कश्यप ने यह भी स्पष्ट किया कि अब तक बिहार में एचएमपीवी के कोई मामले सामने नहीं आए हैं, लेकिन विभाग पूरी तरह से सतर्क है और हर स्थिति का सामना करने के लिए तैयार है।
संक्रमण से बचाव के उपाय
एचएमपीवी वायरस से बचाव और इसके प्रसार को नियंत्रित करने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने कुछ महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं:
हाथ धोने की आदत डालें: नियमित अंतराल पर साबुन और पानी से हाथ धोएं।
आंख, मुंह, नाक और कान को न छुएं: गंदे हाथों से इन अंगों को छूने से बचें।
संक्रमित व्यक्तियों से दूरी बनाए रखें: खांसने और छींकने वाले व्यक्तियों से दूर रहें।
मुंह और नाक को रुमाल से ढकें: खांसते और छींकते वक्त मुंह और नाक को रुमाल या टिशू से ढकें।
संक्रमित वस्तुओं की सफाई करें: संक्रमित व्यक्ति द्वारा छुए गए सामान को नियमित रूप से साफ करें।
आइसोलेशन में रहें: यदि आप संक्रमित हैं, तो दूसरों से दूरी बनाए रखें और खुद को आइसोलेट करें।
बच्चों और बुजुर्गों का ध्यान रखें: विशेष रूप से कम उम्र के बच्चों और बुजुर्गों की सेहत पर ध्यान दें।
राज्य सरकार की सतर्कता और तैयारियां
स्वास्थ्य विभाग ने यह भी सुनिश्चित किया है कि संक्रमण के मामलों पर नजर रखने के लिए सभी अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों में विशेष प्रबंध किए गए हैं। सर्दियों के दौरान इन मामलों में वृद्धि की संभावना को देखते हुए सभी जिलों में नियमित निगरानी रखी जाएगी और जरूरत पड़ने पर उचित इलाज व देखभाल की जाएगी।
इस प्रकार, राज्य सरकार और स्वास्थ्य विभाग एचएमपीवी के प्रसार को रोकने के लिए सजग और सक्रिय हैं, और इस वायरस से संबंधित मामलों पर लगातार ध्यान बनाए रखेंगे।