एकाग्रता के दृढ संकल्प से ही अनुभव के हीरे मोती प्राप्त होते है: मंजू

मनुष्य अपने भाग्य का निर्माता स्वयं है

समाज जागरण ब्यूरो विवेक देशमुख

बिलासपुर।प्रभु दर्शन भवन टिकरापारा में परमात्मा के महावाक्य पर चिंतन करते मंजू दीदी ने कहा कि आज वातावरण मे निगेटिविटी बहुत है जिसके कारण व्यर्थ विचार बहुत चलते है, बुद्धि एकाग्र नही हो पाती। इसका परिणाम होता है निर्णय मे अस्थिरता। बार बार निर्णय बदलने से कार्य का अनुभव हो नही पाता है। परमात्मा कहते है एकाग्रता के दृढ संकल्प से लक्ष्य प्राप्ति के लिये सतत् प्रयास करे तभी अनुभव के हीरे मोती प्राप्त होते है।
आगे कहा कि इसी समय संगमयुग मे परमात्मा सृष्टि पर आते है हम बच्चों का भाग्य बनाने । अभी के पुरुषार्थ से अगले सृष्टि चक्र मे चौरासी जन्मों की कमाई वैसे ही जमा करना है जैसे बैंक मे इतना मूलधन जमा कर ले कि ब्याज से ही जीवन आराम से कट सके। इसके लिए एकाग्रता की दृढ़ता की आवश्यकता है। सागर के सतह पर लहरों की हलचल होती है पर तल की गहराई मे सागर शांत होता है और हीरे मोती सागर तल मे जाने पर ही मिलते है।
दीदी ने कहा कि असीम शांति का अनुभव रूपी हीरे मोती प्राप्त करने एकाग्रचित दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ राजयोग का अभ्यास करे। ब्रह्मा बाबा ने शुभचिन्तन के साथ हमेशा बच्चों को आगे रखा।
दीदी ने कहा कि शिवानी दीदी के कार्यक्रम की तैयारी की व्यस्तता के बावजूद आप सभी के प्यार ने मुझे क्लास करने प्रेरित किया। सभी के उमंग उत्साह से परमात्मा का कार्य सफल होना ही है।