आचार संहिता का भी नही रहा डर

धिरौल के नाले की धार में फिर दौड़ने लगे ट्रैक्टर

अनूपपुर (जितेंद्र शर्मा )जिले के चचाई और धनपुरी थाना अंतर्गत शहडोल और अनूपपुर की सीमा अलग करने बाली बेम्हौरी-गरफदिया क्षेत्र मे जुड़ मानी नदी (जिंदा नाला) बरूहा नाला,कुहुआ नदिया जिसके आसपास शहडोल की तरफ से बेम्हौरी, गरफदिया, बड़ी और अनूपपुर की तरफ से पटना, घिरौल, तुम्मीवर, डोंगराटोला आदि गांव स्थित है।जहां उक्तसभी गांवों के अलग- लग घाटों और पुलियों के पास ट्रैक्टर लगाकर रेत का अवैध खनन के लिए ट्रैक्टर और मेटाडोर फिर से सक्रिय हो चुके है। डोंगरा टोला रोड में नदी के भीतर ट्रैक्टर जैसे बड़े वाहन नदी में उतार कर रेत निकाला जाता है। उक्त जिला सीमा के गांव अपने अपने जिलामुख्या लय से मात्र 20 से 30 किलोमीटर ही दूर है, लेकिन आउटर मे है जिसका फायदा आसपास के रेत माफिया हमेशा से उठाते रहे है।
यहां से इतने समय उठाते हैं रेत
ग्रामीण सूत्रों ने बताया कि बम्हौरी पंचायत अन्तर्गत बेम्हौरी से पटना मार्ग में, तुम्मीबर डोंगरायेला रोड मे पुलिया के पास, बैरगिहा रपटा पुल यानि चैन सिंह के खेत के पास से, बंडी और लखबरिया पंचायत के जुड़ाव सीमा मे नरगड़ा नाला से, वहीं अनूपपुर जिले की सीमा डोंगराटोला पंचायत के पोडापानी घाट से, बैरगिहा टोला के प्राथमिक स्कूल के समीप स्थित रपटा पुल के पास से मालुम हो की इन सभी घाटों में सुबह 4-30 बजे से करीब 7 बजे तक या रात के 12 बजे से सुबह पाच बजे तक कभी-कभी पूरे दिन अवैध निकासी की जाती है। ट्रैक्टर ओव्हर लोड कर के सड़क में चलते है जिससे गांव की सड़के भी जर्जर हो रही है और जिन रास्तों में पक्की सड़क नहीं है वहां कीचड़ के साथ बड़े-बड़े नाली नुमा गड्ढे हो गए हैं।
यहाँ खपाते है चोरी का रेत
उक्त ठीहों से रेत काअवैध उत्खनन कर आसपास के ग्राम पंचायतों जैसे बेम्हौरी, पटना, धनौरा, डोंगराटोला, लखबरिया अझुला एवं बंडी आदि पंचायत में चल रहे सरकारी आवास, शौचालय, सीसी रोड़, पुलिया आदि एवं निजी निर्माण कार्यों के साथ-साथ आसपास के कॉलरी के श्रमिक कॉलोनियों एवं खदानों में चल रहे निर्माण कार्यों में इसी अवैध रेत का उपयोग किया जा रहा है।

वर्तमान में धीरौल ग्राम के परिवार की बात की जाय तो छोटे से ट्रेक्टर से चालू हुआ कारोबार कई डग्गियों के काफिले में तब्दील हो चुका है यदि इनकी आय की जांच की जाय तो बड़े बड़े चोरियों का पता चल जायेगा लेकिन नेतागिरी की आड़ में कई वर्षो से यह रेत का अवैध कारोबार चल रहा है लेकिन कई बार मीडिया में आने के बाद भी खनिज अधिकारियों और विभाग की चीर निद्रा से उठ नही पा रहा है या फिर सिक्के की खनक की मौन स्वीकृति

खबरी भी लगाए जाते है।
बताया जाता है कि जब रेतनिकासी के लिए वाहन और मजदूर नदी में उतारे जाते है तब देवहरा चौकी के बाहर सड़क किनारे किसी पान ठेला या दुकान में एक खबरी बैठा दिया जाता है, और एक खबरी वाहन लेकर आसपास सड़कों में रेकी करता रहता है, और पुलिस आदि से खतरा होने पर तुरंत मौके पर लागे वाहन चालक और मजदूरों को सूचित करता है।”

क्वालिटी घटिया फिर भी रेट हाई-फाई क्यों?

मालुम हो कि क्षेत्र के जुड़मानी, नरगड़ा और पोंड़ा आदि जैसे नदी नालों में रेत तो भरपूर है लेकिन वह निर्माण के दृष्टि से बहुतही घटिया है जिसे आसपास क पंचायतों के शासकीय निर्माण कार्यों में उपयोग करने के लिए संबंधित इंजीनियरों द्वारा सख्त मनाही है, फिर भी यह घटिया रेत की आपूर्ति आसपास के सभी पंचायतों के निर्माण कार्यों के साथ-साथ निजी निर्माण कार्यों में धड़ल्ले से की जा रही है, माल 500 से 800 रुपए की कीमत वाला रेत ढाई हजार से 3 हजार तक बेचा जा रहा है।

ग्रामीणों की मानें तो रेत चोरी में लगे ट्रैक्टर हर साल लाखों का वारा न्याय कर रहे हैं, जिसकी न रॉयल्टी पर्ची का पता न सरकारी रेट कार्ड का, क्यों कि रेत अवैध खनन का रहता है।क्षेत्र के अधिकांश ट्रैक्टरों के सभी रजिस्ट्रेशन पुख्ता नहीं है, कृषि कार्य हेतु का रजिस्ट्रेशन करा के रेत के साथ-साथ कॉलरी से चोरी के कबाड़ निकाले जा रहे हैं।जिसपर न हि परिवहन विभाग, न हि वन विभाग, न हि राजस्व विभाग की नजर पड़ रही है, यदि जानकारी है तो यह सब खुले आम कैसे चल रहे?