US बना रहा नया परमाणु हथियार, हिरोशिमा पर गिराए बम से 24 गुना खतरनाक, मॉस्को पर गिराया जाए तो होगी ऐसी भीषण तबाही

दुनिया के कई हिस्सों में अपने वर्चस्व को लगातार मिल रही चुनौती को देखते हुए अमेरिका (US) ने एक बार फिर से परमाणु हथियारों (Nuclear Bomb) को तेजी से विकसित करने का काम शुरू किया है. ऐसे मानचित्र जारी किए गए हैं, जिसमें दिखाया गया है कि राष्ट्रपति जो बाइडेन के प्रशासन की मंजूरी मिलने के बाद विकसित किए जा रहे एक नए तरह के परमाणु बम को अगर रूस की राजधानी मॉस्को पर गिराया जाएगा, तो उससे कितना विनाश हो सकता है. इस मानचित्र के मुताबिक रूसी राजधानी मॉस्को पर अमेरिका के नए सुपर-परमाणु ग्रेविटी बम का विनाशकारी असर हो सकता हैं. ‘डेली मेल’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक इस नए बम को B61-13 नाम दिया गया है जो हिरोशिमा पर गिराए गए परमाणु बम की तुलना में 24 गुना अधिक शक्तिशाली है.

पेंटागन ने इस हफ्ते घोषणा की थी कि वह एक नया परमाणु ‘ग्रेविटी बम’ विकसित कर रहा है, जो हिरोशिमा में विस्फोटित परमाणु बम से 24 गुना अधिक शक्तिशाली है. बी61-13 ‘ग्रेविटी बम’ बी61 फैमिली का 13वां संस्करण है, जो गाइडेड होने के बजाय अपने लक्ष्य पर गिरता है. ग्रेविटी बम बिना गाइडेड बम होते हैं लेकिन इस नए बम में एक टेल किट होगी, जो निशाने पर गिरने में मदद करेगी और अधिक सटीकता सुनिश्चित करेगी. न्यूकमैप का उपयोग करते हुए एक सिमुलेशन का अनुमान है कि मॉस्को के ऊपर 360 किलोटन की क्षमता वाले B61-13 बम के विस्फोट से लाखों लोग हताहत होंगे, लगभग दस लाख घायल होंगे और शहर को मीलों तक भीषण नुकसान होगा.

हालांकि अमेरिका का ओर से B61-13 की सटीक विस्फोटक शक्ति का खुलासा नहीं किया गया है. मगर अनुमान है कि नए बम में संभवतः शीत युद्ध-युग के B61-7 बम के समान ही विस्फोटक क्षमता होगी. जिसका अनुमान 360,000 टन है, जिसके विस्फोट का असर लगभग 35 मील के दायरे में हो सकता है. अगर बी61-13 को मॉस्को के ऊपर गिराया जाता है, तो संभवतः 300,000 लोगों की मौत हो जाएगी और 870,000 घायल हो जाएंगे. परमाणु बम के विस्फोट स्थल के आधे मील के दायरे में हर चीज आग के गोले से भाप हो जाएगी. विस्फोट इमारतों को ध्वस्त कर देगा और संभवतः एक मील के भीतर बाकी सभी लोगों को मार डालेगा.

आंकड़ों के मुताबिक विस्फोट स्थल के 2 मील के दायरे में रहने वाले लोग भी बड़े पैमाने पर रेडिएशन से पीड़ित होंगे, जो संभवतः एक महीने के भीतर उन्हें मार डालेगा. जीवित बचे लोगों में से 15 प्रतिशत अपने जीवन में बाद में कैंसर से मर जाएंगे. आग लगने और इमारतों के ढहने और लगने वाली चोटों से इमारतों में रहने वालों की हालत भी बेहतर नहीं होगी.