*अब नवंबर माह से प्रारंभ मांगलिक कार्य*

समाज जागरण रंजीत तिवारी
वाराणसी। देवताओ के गुरु बृहस्पति आज से 13 दिन बाद अस्त हो जाएंगे। यानी 11 जून को पूर्णिमा से गुरु पश्चिम में विराजेंगे। इसके बाद मांगलिक कार्य के साथ शहनाई की धुन थम जाएगी।
गुरु दि०७ जूलाई को पूर्व दिशा में उदित होंगे, किन्तु ६जुलाई कोहरिशयनी एकादशी  हो जाने के कारण मांगलिक कार्य नहीं होगे।
सूर्य दक्षिणायन दि०१५/१६जुलाई को होगे।सूर्य के दक्षिणायन होने से चातुर्मास शुरू हो जाएगा।इसके बाद अगले छह महीने तक शहनाई की धुन नहीं गूंजेगी। छह माह बाद यानी नवंबर से मांगलिक कार्य शुरू होंगे।

भारतीय ज्योतिष सिद्धांत के अनुसार ग्रहों के राजा सूर्य माने गए हैं और मंत्री गुरु ग्रह हैं। गुरु ग्रह के साक्षी होने पर ही विवाह वमांगलिक कार्य होते हैं। ज्योतिषाचार्य ड्रा. शीतला प्रसाद त्रिपाठी  ने बताया कि ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा तिथि यानी 11 जून शाम को 6:54 बजे गुरु ग्रह पश्चिम दिशा में अस्त होंगे। गुरु ग्रह के अस्त होने के साथ सभी मांगलिक कार्यों पर विराम लग जाएगा।
उन्होंने बताया कि आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी छह जुलाई को देवशयनी एकादशी मनाई जाएगी। इसी दिन देवगुरु भगवान विष्णु शयन मुद्रा में चले जाएंगे। सूर्य दक्षिणायन हो जाएंगे। इसके साथ चातुर्मास भी शुरू हो जाएगा। फिर एक नवंबर को देवउठनी एकादशी पर भगवान श्रीहरि विष्णु जागृत होंगे। इसके बाद मांगलिक कार्य शुरू हो जाएंगे। वैवाहिक लग्न 21 नवंबर से शुरू होंगे जो 15 दिसंबर तक चलेंगे।
*इन मांगलिक कार्यों पर लगेगी रोक*
गुरु के अस्त होने और सूर्य के दक्षिणायन होने से मांगलिक कार्यों पर रोक लगेगी। साथ ही वधु प्रवेश, सगाई, मुंडन, गृह प्रवेश, मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा, यज्ञोपवीत, जनेऊ आदि आयोजनों पर विराम लग जाएंगे।
ये कर सकते हैं कार्य : मांगलिक कार्यों में कुछ ऐसे भी कार्य हैं, जिनको चातुर्मास के दौरान कर सकते हैं। पंडित शीतला प्रसाद त्रिपाठी ने बताया कि दक्षिणायन सूर्य में जीर्णाति (टूटे फ़ूटे मकान की मरम्मत आदि)पूराने मकान का गृहप्रवेश होगा ।

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