रामलीला : अधर्म पर धर्म की विजय, रावण वध का हुआ मंचन

सचित्र–


जुनेद अहमद, दैनिक समाज जागरण

रतसर (बलिया) : स्थानीय नगर पंचायत स्थित बीका भगत के पोखरे पर चल रही रामलीला में रविवार को रावण वध के दृश्य का मंचन किया गया।
रावण वध के मंचन में दिखाया गया कि मेघनाद की मृत्यु के बाद रावण खुद को असहाय महसूस करता है और सोचता है कि अब कौन है जो इस समय मेरी सहायता कर सकता है। तब उसे अपने बेटे पाताल के राजा अहिरावण का ध्यान आता है। रावण अपनी माया शक्ति से अहिरावण को बुलाता है और उसे युद्ध में जाने के लिए कहता है। अहिरावण अपने पिता को कहता है कि आपने एक पराई स्त्री के लिए कुंभकर्ण व मेघनाद जैसे महायोद्धा कुर्बान कर दिए और अब मेरे पास आए हो, लेकिन वह बेटा किस काम का जो मुसीबत के समय काम न आए। इसलिए मैं युद्ध में जरूर जाऊंगा और श्रीराम के हाथों मारे जाने से अच्छी बात मेरे लिए और क्या होगी।अहिरावण युद्ध में जाता है और मायावी शक्ति से श्रीराम व लक्ष्मण का अपहरण कर पाताल में ले आता है। हनुमान अहिरावण का वध करके राम लक्ष्मण को छुड़ाकर ले आते हैं। फिर रावण अपने बेटे नारांतक को युद्ध में भेजता है। सुग्रीव का बेटा दधिबल उसे मार देता है। रावण अपने आप युद्ध की कमान संभालते है और श्रीराम व रावण में भयंकर युद्ध होता है। जब बहुत देर तक रावण हार नहीं मानता तो श्रीराम विभीषण से कहते है कि क्या कारण है कि रावण मर नहीं रहा। तब विभीषण राम को बताते है कि आप इसकी नाभि में 32 तीर एक साथ मारिए, तक इसकी मौत होगी। श्रीराम ऐसा ही करते है और रावण के वध के साथ ही पंडाल जय श्रीराम के नारे से गूंज उठा।