अनूपपुर – कोतमा वन परिक्षेत्र अंतर्गत धुरवासिन कोटमी बीट में भी व्यापक अवैध वन कटाई हुई है जिसका खुलासा भी हुआ था लेकिन जिम्मेदार वन अधिकारी सीसी एफ शहडोल अनूपपुर वन मंडला अधिकारी अब तक कोतमा वनपरि क्षेत्र कोतमा के भ्रष्ट रेंजर डिप्टी रेंजरों बीट गाडो पर कोई ठोस कार्यवाही नही कर पा रहें ! आखिर क्या कारण है कि रेंजर डिप्टी रेंजर बीट गाड पर लापरवाही एवं अपराध सिद्ध होने के बावजूद जिम्मेदार वन अधिकारी अपनें अधीनस्थ कर्मचारियों पर कार्यवाही करनें से बचते नज़र आ रहें !
इस बात को लेकर क्षेत्र की जनता में वन विभाग के आला अधिकारियों के प्रति काफ़ी असंतोष रोष व्याप्त है ! जबकि स्पेशल टास्क फोर्स द्वारा की गई जांच में यह खुलासा हुआ था कि कई सरई और साजा के कीमती पेड़ों को अवैध रूप से काटा गया,जिससे वन विभाग को लाखों रुपये की आर्थिक क्षति हुई है! इस कृत्य में सहायक परिक्षेत्र अधिकारी विनोद कुमार मिश्रा, वन रक्षक सोमपाल सिंह कुशराम,एवं तत्कालीन कोतमा परिक्षेत्र रेंजर अशोक निगम को दोषी पाया गया था ! लेकिन वन विभाग के जिम्मेदार अधिकारी द्वारा दोषियों पर कार्यवाही करनें की बजाए भ्रष्ट वन कर्मियों को बचाते हुए स्थानांतरण करके दूसरे वनपरि क्षेत्र भेज दिया जाता है !
प्रशासनिक निष्क्रियता और भ्रष्टाचार के खुले प्रमाण
प्रशासन का यह उदासीन रवैया न केवल उनके कर्तव्य से विमुख होने को दर्शाता है, बल्कि भ्रष्टाचार को सीधा-सीधा बढ़ावा देता है। जिस प्रकार से जांच रिपोर्ट में अधिकारियों की लापरवाही और मिलीभगत के प्रमाण सामने आए हैं, उससे यह सवाल उठता है कि आखिर कब तक प्रशासन भ्रष्टाचारियों को बचाता रहेगा? स्पेशल टास्क फोर्स की स्पष्ट रिपोर्ट के बावजूद संबंधित अधिकारियों को अपने पद पर बनाए रखना वन विभाग की विश्वसनीयता पर गंभीर प्रश्न खड़े करता है।
सरकार द्वारा इस मामले में ठोस कदम न उठाना यह दर्शाता है कि वन विभाग खुद अवैध गतिविधियों के खिलाफ एक प्रभावी निवारण लागू करने में पूरी तरह असमर्थ है। प्रशासन की यह ढिलाई एक खतरनाक संदेश देती है कि ऐसे भ्रष्ट और लापरवाह अधिकारी बिना किसी डर के अपनी मनमानी कर सकते हैं और उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं होगी।
पर्यावरण की अनदेखी और सार्वजनिक धन की बर्बादी
अवैध कटाई से न केवल पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचा है, बल्कि इससे जनता के पैसों का दुरुपयोग भी हो रहा है ! वन विभाग जिसका उद्देश्य पर्यावरण और वन्यजीवों की सुरक्षा का है वही अपनें उद्देश्यों के खिलाफ काम करता नजर आ रहा है ! भ्रष्ट वन कर्मियों पर मात्र दिखावे के लिए वन अधिकारियों द्वारा प्रस्तावित आर्थिक दंड पदोन्नति रोकने की नोटिस जैसी मामूली सजा देकर उन्हें बचाने की कोशिश की जा रही जिससेे भ्रष्ट वन अधिकारी कर्मचारियों के हौसले और बुलंद हो रहें है !