दैनिक समाज जागरण
ब्यूरो शमीम सिद्दीकी
जनपद बिजनौर
शेरी नशिस्त में मौजूद शायरो ने उम्दा कलाम पेश कर खूब वाहवाही लूटी
कभी बदली नही कश्ती, कभी दरिया नही बदला
नजीबाबाद। बज़्म ए जिगर नजीबाबाद की ओर से देहली से आये मेहमान शायर शहादत अली निजा़मी के एजा़ज़ में एक शेरी नशिस्त का आयोजन किया गया। शेरी नशिस्त में मौजूद शायरो ने उम्दा कलाम पेश कर खूब वाहवाही लूटी।
सोमवार को नगर के मौहल्ला मेहंदीबाग में मशहूर शायर डाक्टर रईस अहमद भारती के आवास पर हुई शेरी नशिस्त का डाक्टर तैय्यब जमाल ने नात ए रसूल ए पाक से आगाज करते हुए कहा…..आप का जो गुलाम होता है, इस जहाँ का इमाम होता है। गज़ल के दौर में शहबाज़ अख्तर नजीबाबादी ने कलाम पेश करते हुए कहा… बीती बातों को याद कर कर के, मैं तो जीता हूँ रोज़ मर मर के। नौजवान शायर उबैद नजीबाबादी ने ग़ज़ल पेश करते हुए कहा….. रखना होता है कही और कही रखता हूँ, कोई सामान सलीके से नही रखता हूँ।। बेहतरीन शेर कहने वाले शायर आसिफ मिर्ज़ा ने कहा…… तुम्हारे एक नही ने बचा लिया वरना, तुम्हारे प्यार का अहसा उतारता कैसे। डाक्टर तैय्यब जमाल ने गज़ल पेश करते हुए कहा….. जिस का अहसास ए कल्ब मर जायें, जिंदा एक लाश है जिधर जाये। शेरी नशिस्त की निजा़मत फरमा रहे शायर शादाब जफर ने कहा… आज के दौर में वफा ही नही, कौन दे दो कोई सिला ही नहीं।। बुजुर्ग उस्ताद शायर डाक्टर नसीम अख्तर मुल्तानी ने खूबसूरत ग़ज़ल पेश करते हुए कहा… कभी बदली नही कश्ती, कभी दरिया नही बदला। भले ही डूब जाये हम, मगर जज़्बा नही बदला। मेज़बान बुजुर्ग उस्ताद शायर डाक्टर रईस अहमद भारती ने कहा….. ये कहना है दानाओ का इक दिन ऐसा आयेगा, हंस चुगेगा दाना तुनका कव्वा मोती खायेंगा। देहली से तशरीफ़ लाये मेहमान शायर शाहादत अली निजा़मी ने कहा…. मेरे दिल पर वो अपनी हुक्मरानी छोड जाता है, रूलाकर जो मेरी आंखों में पानी छोड़ जाता है। शेरी नशिस्त की सदारत कर रहे मशहूर शायर मौसूफ अहमद वासिफ ने कहाँ…. दबे दबे हुए पाँव से आ रहा है कोई, गर्दिशो छोड़ दो पीछा बुला रहा है कोई। उम्दा कलाम पेश कर शेरी नशिस्त में खूब वाहवाही लूटी।
शेरी नशिस्त की अध्यक्षता शायर मौसूफ अहमद वासिफ ने की व संचालन शादाब जफर शादाब ने किया । शेरी नशिस्त के मेहमान ए खुसुसी शहादत अली निजा़मी व डाक्टर नसीम अख्तर मुल्तानी रहे।