भारत विकास परिषद के सहयोग से राष्ट्रचिंतना की 25 वीं गोष्ठी का आयोजन

रविवार 23 मार्च 2025 को सिकंदराबाद के दीक्षित पैलेस में राष्ट्रचिंतना की 25 वीं गोष्ठी भारत विकास परिषद् संस्कार शाखा के सहयोग से आयोजित की गई।
मां भारती और स्वामी विवेकानंद तथा बलिदान दिवस पर भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव जी को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए कार्यक्रम प्रारंभ किया गया।

श्री अनिरुद्ध शास्त्री जी, प्रांत संयोजक , भारतीय शिक्षण मंडल, मेरठ प्रांत ने गणगीत से देशभक्ति के प्रति जागृत किया।

विषय परिचय करवाते हुए प्रो  विवेक कुमार, निदेशक, एमिटी इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, एमिटी विश्वविद्यालय नोएडा ने कहा भारतवर्ष को बलिदान दिवस पर अखंड भारत के लिए संकल्पित होना होगा।

प्रो सतीश चंद्र गर्ग, प्रांतीय संपर्क प्रमुख,भारत विकास परिषद ने अंगदान महादान के लिए प्रेरित करते हुए देवताओं के हित में ऋषि दधीचि के देह दान के त्याग का वृतांत सुनाया।
गोष्ठी की अध्यक्षता सेवा निवृत पुलिस अधिकारी श्री अमरपाल सिंह ने की।
डॉ आर के गुप्ता, विनोद गुप्ता, जुगल किशोर बंसल, डॉ नरेंद्र कृष्ण, शिव प्रकाश काका, आर पी अग्रवाल, विभोर गुप्ता, डॉ नीरज कौशिक, डॉ संदीप, राजेंद्र सोनी, सुवेद दीक्षित, अनिल तायल ने अतिथियों का पटका पहनाकर स्वागत किया।
प्रो बलवंत सिंह राजपूत जी, पूर्व कुलपति ,अध्यक्ष, राष्ट्रचिंतना ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में कहा कि भारतवर्ष की स्वतंत्रता अनेकों क्रांतिकारियों के बलिदान के कारण संभव हुई। उन समस्त वीरों को बलिदान दिवस पर कोटि कोटि नमन।

डॉ. प्रदीप दीक्षित, नगरपालिका अध्यक्ष, सिकंदराबाद ने सनातन संस्कृति, हिंदुत्व, समरसता और करुणा के महत्व पर प्रकाश डाला।

अपने प्रेरक संबोधन में श्री क्रांति महाराज (स्वामी कैलाशानंद गिरी), समरसता प्रमुख(ग्राम विकास), राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, मेरठ प्रांत ने कहा कि शहीदों के बलिदान का कर्ज आने वाली पीढियों को उतारना भी कठिन होगा। मनुष्य को मोक्ष प्राप्ति संभव है, जिसके लिए देवता भी तरसते हैं। अनादि काल से पृथ्वी और सनातन इस जगत में विद्यमान है। सनातन मोक्ष प्राप्ति का साधन है।

हमारी संस्कृति जीवों, नदियों जैसे प्रकृति के समस्त अवयवों का सम्मान करना सिखाती है।

जीवन में स्व का आचरण जैसे स्वभाषा, स्वभूषा आदि परम आवश्यक है। पंचगव्य समस्त व्याधियों का रामबाण उपाय है।

प्रामाणिकता संग धनार्जन दान पश्चात ही उपयोग योग्य है।परिवर्तन समाज लाता है, जिसका प्रारंभ स्वयं से ही करना है।

युवा पीढ़ी वंश वृद्धि से विमुख हो गई है। मानवता के परम शत्रु रक्तबीज के निर्मूलन के लिए मातृशक्ति को रणचंडी बनना पड़ेगा। अपनी संतान को शिव गण भैरव और भक्त शिरोमणि हनुमंत जैसे परम प्रतापी बनाना होगा। जब तक मलेच्छों का अंत नहीं होगा, तब तक दो घंटे प्रतिदिन समाज को देने का प्रण लेना होगा।

शरणागत को शरण देने वाली हमारी संस्कृति रही है। आज स्वरक्षा हेतु अस्त्र शस्त्र घर घर में होने चाहिए।
अंगदान-देहदान, भारत विकास परिषद् के प्रांतीय संयोजक, वी एस सक्सैना ने शहीद दिवस के बारे में जानकारी दी तथा सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया।
गोष्ठी में अनिल मोघा, भोला, जूली, विजय सिंह कंबोज, अरविंद साहू, डॉ अभिषेक, त्रिलोक गुर्जर, गौरव नागर, दीपक भाटी, किशोर कुमार, अजय सिंघल आदि सौ से अधिक प्रबुद्धजन उपस्थित रहे।

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