बिहार सरकार के नाम दर्ज भूमि की खरीद-बिक्री पर लगी रोक पर सरकार जल्द लेगी फैसला, अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने दिया संकेत

रीता कुमारी, ब्यूरो चीफ, दैनिक समाज जागरण

नवादा (बिहार)। बिहार सरकार के उत्पाद, मद्यनिषेध और निबंधन विभाग के अपर मुख्य सचिव के. के. पाठक ने आश्वस्त किया है कि बिहार सरकार के नाम पर खातियान में दर्ज भूमि के निजी डिमान्डधारियों की जमीन की खरीद – बिक्री की रजिस्ट्री के सम्बंध में राज्य सरकार शीघ्र निर्णय लेगी।
पाठक ने हिसुआ से कांग्रेस विधायक नीतु कुमारी और ककोलत विकास परिषद के अध्यक्ष मसीह उद्दीन को 22 दिसम्बर की देर शाम पटना में उनसे हुई भेंट के दौरान यह आश्वासन दिया। इन नेताओं ने पाठक को इस सम्बंध में एक ज्ञापन देकर इस जन समस्या की ओर राज्य सरकार का ध्यान आकृष्ट कराया था।
ज्ञापन में उल्लेख किया गया है कि बिहार सरकार के खाता की ज़मीन के रोक सूची में दर्ज रहने के फलस्वरूप उक्त खाता की जमीन के ऐसे डिमांडधारी जिनकी विभिन्न न्यायालयों के आदेश पर जमाबंदी कायम की गयी है और उन्हें लगान रसीद भी निर्गत है, अपने बाल-बच्चों की शादी और इलाज आदि आपात समय में भी अपनी ज़मीन अथवा मकान आदि की खरीद- फ़रोख्त नहीं कर पा रहे हैं तथा ऐसे जरूरतमंद लोग अपनी ज़मीन बेचने के लिए सरकारी कार्यालयों का चक्कर लगा रहे हैं।
ज्ञापन में बताया गया है कि नवादा और हिसुआ शहरी क्षेत्र सहित पूरे जिले के लाखों लोग इस से प्रभावित हो रहे हैं।
बिहार काश्तकारी अधिनियम के अंतर्गत राजस्व अधिकारियों, भूमि सुधार उप समाहर्ता द्वारा लगान निर्धारण वादों तथा टाइटिल सूट के मामलों में विभिन्न न्यायालयों द्वारा पारित आदेश के आलोक में बहुत सारे लोगों के नाम पर बिहार सरकार के खाता की जमाबंदी संघारित है, तथा ऐसी भूमि पर सैंकड़ों वर्ष से मकान बना हुआ है और पूर्णरूपेण दखल कब्जा है। परन्तु स्थानीय हलका कर्मचारियों ने निबंधन कार्यालयों को रोक सूची हेतु आंख बंद करके बिहार सरकार के खाता की भूमि की सूची सौंप दी है, जबकि उन्हें उस भूमि का विवरण नहीं भेजना चाहिए था जिसका डिमांड निजी लोगों के नाम पर कायम है और राजस्व रसीद कट रही है। इस रोक के फलस्वरूप जमीन की रजिस्ट्री कम हो रही है और सरकारी राजस्व का नुकसान हो रहा है। ज्ञापन में आरोप लगाया गया है कि बहुत से लोगों की निजी जमीन सर्वे कर्मचारियों की गलती से बिहार सरकार के नाम पर दर्ज हो गयी है क्योंकि भूमि सर्वे के दौरान जमीन मालिक किसी कारणवश सर्वे अॉफिस में हाजिर होकर अपना साक्ष्य प्रस्तुत नही कर सके थे अथवा नौकरी और व्यवसाय आदि के उदेश्य से सर्वे के समय घर से बाहर थे और ऐसे अनगिनत लोगों की जमीन बिहार सरकार के नाम पर दर्ज हो गयी है।
इस बाबत मसीह उद्दीन का कहना है कि सरकार इस दिशा में जल्द सही निर्णय लेती है तो लाखों लोगों की परेशानियां दूर होंगी।