मासिक धर्म स्वच्छता दिवस पर खुलकर बोलीं बेटियां शर्म नहीं जागरूकता ज़रूरी

समाज जागरण अनिल कुमार
हरहुआ वाराणसी ।ग्रामीण और मलिन बस्तियों में किशोरियों के जीवन को सशक्त और जागरूक बनाने की दिशा में जनमित्र न्यास द्वारा 24 से 28 मई के बीच स्वास्थ्य पोषण और मासिक धर्म से जुड़ी विशेष पहल का आयोजन किया गया। जिसमें बड़ागांव, आराजी लाइन, पिंडरा, हरहुआ और बजरडीहा जैसे क्षेत्रों में यह अभियान न केवल किशोरियों को उनके शरीर और मानसिक स्वास्थ्य के प्रति सजग करने के लिए था बल्कि मासिक धर्म जैसे संवेदनशील विषय पर खुलकर संवाद की शुरुआत भी थी।28 मई को मासिक धर्म स्वच्छता दिवस के अवसर पर विभिन्न क्षेत्रों में कार्यशालाएं आयोजित किया गया। जिसका संचालन मंगला प्रसाद कार्यकर्त्ता मानवाधिकार जननिगरानी समिति ने किया। इन कार्यक्रमों में स्वास्थ्य विभाग शिक्षा विभाग आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के साथ-साथ जनमित्र न्यास की टीम की सक्रिय भागीदारी रही। बड़ागांव में आयोजित एक प्रमुख कार्यक्रम में प्रभारी चिकित्साधिकारी डॉ. शेर मोहम्मद स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी दिवाकर वर्मा मुख्य सेविका प्रभावती देवी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सरोज सिंह व सुषमा सिंह आशा सुमन तथा जनमित्र न्यास से संध्या और चमेली देवी की उपस्थिति ने कार्यक्रम को दिशा और मजबूती प्रदान की। वही दल्लीपुर ताड़ी की सीएमसी में हुई कार्यशाला में किशोरियों को मासिक धर्म के दौरान स्वच्छता बनाए रखने के उपाय सैनिटरी नैपकिन के सुरक्षित उपयोग और निपटान संतुलित आहार की महत्ता और एनीमिया से बचाव जैसे विषयों पर जानकारी दी गई। खास बात यह रही कि पहली बार कई किशोरियों ने इस विषय पर खुलकर बात की और अपने अनुभव साझा किए। एक किशोरी ने कहा पहले मुझे मासिक धर्म के बारे में बात करने में शर्म आती थी लेकिन अब समझ में आया है कि यह तो एक सामान्य प्रक्रिया है डरने या छिपाने की नहीं।कार्यक्रम में कई किशोरियों ने पहली बार सैनिटरी नैपकिन के बारे में जाना वहीं कुछ ने रीयूजेबल पैड्स के उपयोग में भी रुचि दिखाई। इस संवाद में माताओं और अन्य महिलाओं की भागीदारी से यह भी स्पष्ट हुआ कि यह विषय अब सिर्फ किशोरियों तक सीमित नहीं रहा बल्कि घर और समुदाय के स्तर तक पहुंच बना रहा है।
जनमित्र न्यास की टीम और स्थानीय कार्यकर्ताओं के समर्पण ने यह सिद्ध कर दिया कि जब सही जानकारी और सम्मानजनक संवाद का माहौल मिले तो सामाजिक वर्जनाएं भी ढह सकती हैं। एक प्रशिक्षिका के शब्दों में हमारा उद्देश्य मासिक धर्म को लेकर बनी चुप्पी को तोड़ना था और हमने इसकी मजबूत शुरुआत की है।यह पहल केवल एक सप्ताह का आयोजन नहीं बल्कि किशोरियों के आत्मविश्वास समझ और अधिकारों को मजबूत करने की दिशा में उठाया गया एक स्थायी कदम है। यह संदेश देता है कि मासिक धर्म से जुड़ी शर्म नहीं बल्कि समझ और गरिमा की जरूरत है और यही बदलाव की असली शुरुआत है।

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