चार महा पापो में प्रथम है दारू पीना

मुहम्मदाबाद । नोनहरा पोखरा पर चतुर्मास कर रहे संत गंगा पुत्र त्रिदंडी स्वामी ने प्रवचन करते हुए कहा कि शास्त्रों में चार महा पाप बताए गए है, प्रथम महा पाप न सुराम पिबेत, दारू नहीं पीना चाहिए,वो गंगा जल में ही क्यों न बना हो उसको संत धारण नही कर सकते, दारु मनुष्य को पशु बना देती है,दूसरा महापाप भगवान के मूर्तियों में भेद करना,ये सोना के है की चांदी के है की पत्थर के है,ये दूसरा महा पाप हो जाता है,तीसरा महापाप भगवान के भक्तो में भेद बुद्धि रखना,दो साल के है की 80वर्ष के,ब्राम्हण है क्षत्रिय है की सुद्र है,ये तीसरा पाप है और चौथा पाप गुरु ने जो मंत्र दिया उस मंत्र को भूल जाना, इन्ही चार पापो के कारण घर में दरिद्र हो जाता है,और पाप का बाप क्या है, भगवान को भूल जाना। इसलिए पंचगब्य का सेवन करे, तब आपके हड्डियों तक प्रविष्ट पाप नस्ट हो जाते है,तब आपके घर में वैभव लक्ष्मी की कृपा बरसने लगे गी।