कौन रच रहा है अरविन्द केजरीवाल को मारने की साजिश ?

दिल्ली समाज जागरण डेस्क

नई दिल्ली : आखिर कौन रच रहा है केजरीवाल को मारने की साजिश? आप नेता सौरभ भारद्वाज ने कहा है कि अरविन्द केजरीवाल पिछले 10-12 सालों से इन्सुलिन ले रहे है लेकिन जेल मे उनको इन्सुलिन नही दिया जा रहा है। उनका शुगर लेवल खाना खाने के 3 घंटे बाद भी 320 तक पहुंच जाता है। सौरभ भारद्वाज ने मिडिया से बात करते हुए कहा है कि ” आज कल तो हरेक परिवार मे कोई न कोई शुगर के मरीज है” सबको पता है कि शुगर के मरीज के लिए इन्सुलिन कितना जरूरी है। इसके बाद भी जेल प्रशासन के द्वारा उनको इन्सुलिन नही दिया जाता है। न किसी प्राइवेट डाक्टर से कन्सल्ट करने दिया जा रहा है।

सौरभ भारद्वाज ने आरोप लगाते हुए संदेह जताया है कि अरविन्द केजरीवाल को मारने की साजिश की जा रही है। कोशिश किया जा रहा है कि शुगर लेवल ज्यादा होने से किडनी लिवर डैमेज हो जाये फिर उनको जमानत दे दिया जायेगा ताकि जीवन भर हास्पिटल के चक्कर लगाते रहे।

बताते चले कि दिल्ली के बहुचर्चित शराब घोटाले मे ईडी ने अरविन्द केजरीवाल को 21 मार्च को उनके घर से पूछताछ के बाद गिरफ्तार किया था। ईडी के हिरासत मे रखने के बाद कोर्ट ने जेल भेज दिया था तब से तिहाड़ जेल मे बंद है। आप पार्टी कानूनी लड़ाई तथा धरना प्रदर्शन के जरिये लगातार सरकार पर दबाब बनाने के कोशिश मे रही है कि अरविन्द केजरीवाल को जमानत मिल जाये। लेकिन अभी तक निराशा ही हाथ लगा है।

जहाँ एक तरफ आम आदमी पार्टी के नेता लगातार अरविन्द केजरीवाल को बीमार बताकर कानून तथा जनता का सहयोग हासिल करने की कोशिश करती नजर आ रही है वही दूसरी तरफ बीजेपी नेता मनोज तिवारी ने कहा है कि ” केजरीवाल लगातार एक शातिर किस्म के अपराधी की तरह व्यवहार कर रहे है। धर से मंगवाकर आलू पूड़ी और आम खा रहे है। ताकि शुगर लेवल बढ़े और उसका बहाना बनाकर जमानत हासिल की जा सके। दिल्ली के जेल तो दिल्ली सरकार के अन्दर कार्य करती है और दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल है”

आप नेत्री आतिशी मार्लोना कही ने मिडिया को बतायी कि अरविन्द केजरीवाल को डेली 54 युनिट इन्सुलिन लेने पड़ते है। किसी भी डाक्टर से पता किया जा सकता है कि 54 युनिट इन्सुलिन लेने का मतलब शुगर किस लेवल की है। लेकिन बीजेपी के ईडी इसे आम और पूड़ी बताकर विरोध करती है। कहती है कि केजरीवाल जानबुझकर शुगर बढ़ा रहे है मिठी चाय पी रहे है।

सवाल उठता है कि आखिर साजिश कौन रच रहा है और झूठ कौन बोल रहा है ? क्या इतने झूठ के बाद भी कोई केजरीवाल पर भरोसा करेगा ? इंडिया अगेंस्ट करप्शन के केजरीवाल आखिर कब स्वयं भ्रष्ट हो गए क्या केजरीवाल को पता नही चला ? राजनीति को साफ करने के लिए राजनीतिक के गंदगी मे उतरना जरूरी था, तो क्या भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए भ्रष्टाचार करना भी जरूरी था ? आखिर ईडी के सवालों से भागने का मतलब क्या समझा जाय और क्यो ईडी को कोर्ट मे जाना पड़ा। आखिर क्यो केजरीवाल कोर्ट मे यह साबित नही कर पा रहे है कि आम आदमी पार्टी ने भ्रष्टाचार नही किया है।

केजरीवाल के केस को कांग्रेस के नेता लड़ रहे है, जिस कांग्रेस को दिल्ली से केजरीवाल के कारण ही खत्म होना पड़ा। केजरीवाल ने पंजाब से कांग्रेस को खत्म कर दिया। केजरीवाल ने गुजरात मे भी कांग्रेस के अस्तित्व के लिए खतरा बना हुआ है। क्या यह साजिश कांग्रेस की है? या फिर यह साजिश स्वयं आम आदमी के पार्टी के लोगों के द्वारा किया जा रहा है जो लोग केजरीवाल के कामयाबी मे बराबर के हिस्सेदार है । या वह लोग जिसको केजरीवाल ने दुध के मक्खी समझकर बाहर फेक दिया। आखिर केजरीवाल के करीबी राघव चड्ढा केजरीवाल और इस देश से दूर क्यो है ?

या फिर यह साजिश उन लोगों का है जिसको शराब घोटाले मे फायदे का अनुमान तो था लेकिन पार्टी के आलाकमान ने सभी को स्वयं ही गटक गया। आखिर जिसने करोड़ो के ठेके लिए थे वह लोग भी तो कमाने के लिए ही पैसे दिए होंगे।

कुछ भी हो लेकिन जेल की वीआईपी कल्चर जनता के सामने लाने मे केजरीवाल का सराहनीय योगदान को सुनहरे अक्षर मे जरूर लिखी जानी चाहिए। कैसे एक नेता 24 दिन के जेल मे 48 बार घर से मंगवाकर खाना खाता है। कैसे उसके लिए रोज कोर्ट मे सुनवाई होती है। आम जनता के मन मे भी सवाल उठता होगा कि काश यह सब उन सभी लोगों के लिए होता जो किसी न किसी कारणवश किसी अपराध मे जेल मे बंद है। यहाँ तो जमानत के लिए सालों लग जाते है। मिलने के लिए भी एक निश्चित दिन तय है। लंबी लाइन लगाकर कुछ मिनटो की मुलाकात हो पाती है। जनता यह भी जानना चाहती है कि आखिर केजरीवाल के तरफ से कोर्ट मे पेश होने वाले, पक्ष रखने वाले वकीलों का फीस केजरीवाल के जेब से, आम आदमी पार्टी के फंड से या फिर दिल्ली सरकार के खजाने से दिए जा रहे है। अगर दिल्ली सरकार के खजाने से दिल्ली जा रहे है तो यह भी जनता के साथ धोखा है, घोटाला व्यक्ति निजी और पार्टी के हित मे करता है तो उसका खर्च सरकारी खजाना पर क्यो ?

आप भी सोचिएगा, और संभव हो तो आरटीआई के माध्यम से जबाब मांगने की कोशिश कीजिए, आखिर किसी के निजी हित के लिए सरकारी खजाना क्यों खाली हो। यह पैसे आपके खुन पसीने से कमाए हुए पैसे से जो टैक्स कटता है उससे जाता है और उसका मालिक आप है । आम मतलब आम आदमी पार्टी नही। आम जनता है उसके अनुमति के बगैर कैसे हो रहा है यह सब। पार्टी कोई भी हो कोई मायने नही रखता है। किसी नेता के बिगड़े बोल, किसी नेता के भ्रष्टाचार, किसी नेता के अपराध के लिए लड़े जाने वाले केस उसका निजी है, और खर्च भी उसका निजी ही होनी चाहिए।

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