अधिकारियों की चुप्पी से खनिज माफिया को मिल रहा प्रोत्साहन
कटनी। जिले के ढीमरखेड़ा तहसील में रेत का अवैध खनन लंबे समय से अनवरत रूप से जारी है और क्षेत्र में अवैध खनन कोई नई बात भी नहीं है, किंतु बीते एक दो वर्षों में यह समस्या विकराल रूप ले चुकी है। नियमों और प्रशासनिक आदेशों की खुली धज्जियां उड़ाते हुए रेत माफिया बेखौफ होकर नदियों को छलनी कर रहे हैं। अनेकों बार शिकायतें हुई और ग्रामीणों के द्वारा प्रदर्शन भी किया गया , बावजूद खनिज विभाग, वन विभाग और स्थानीय प्रशासन की चुप्पी ने इस अवैध कारोबार को और अधिक प्रोत्साहन दिया है।
जानकारों का कहना है कि स्लीमनाबाद का कुख्यात माफिया रेत का सिंडीकेट चल रहा है। माफिया के घर पर चल रहे जुआ फड़ पर डीआईजी की टीम ने छापा मारा था और वन्य प्राणी अधिनियम के तहत अपराध दर्ज किया गया था। उक्त कुख्यात माफिया फरार होने में कामयाब रहा लेकिन तब भी कटनी की पुलिस उसे नहीं पकड़ पाई थी।
रेत माफिया की दहशत कानून से ऊपर माफिया
ढीमरखेड़ा क्षेत्र के विभिन्न गांवों दशरमन, महादेवी, दतलाए बम्हौरी, सगवा, लालपुर, जिरी, बड़ौदा और कुदरा में रेत माफिया खुलेआम अपना साम्राज्य चला रहे हैं। इन क्षेत्रों में प्रतिदिन सैकड़ोंट्रैक्टर ट्रॉली बिना रॉयल्टी के रेत निकाल कर ले जाते हैं। यह कार्य रात के अंधेरे में नहीं बल्कि दिनदहाड़े होता है। रॉयल्टी की आड़ में फर्जी टोकन जारी किए जा रहे हैं, जिनका न तो खनिज विभाग से कोई संबंध है और न ही प्रशासन से। यह टोकन महज एक लूट का जरिया बन गया है।
दो मासूम बच्चों की मौत, फिर भी चुप्पी
ग्राम जिरी में दो मासूम बच्चों की मौत की घटना पूरे तंत्र की संवेदनहीनता को उजागर करती है। आनंद यादव और चाहत यादव नामक दो मासूम बच्चों की मौत रेत माफिया की लापरवाही के चलते हुई। आरोप है कि एक रेत कंपनी काट्रैक्टर पीछा करते हुए आया, जिससे घबराकर ट्रॉली पलट गई और दोनों बच्चों की जान चली गई। परिजनों ने विलायतकला रोड पर शव रखकरघंटों तक रास्ता जाम कियाए न्याय की मांग कीए लेकिन न कोई कार्रवाई हुईए न माफिया पर शिकंजा कसा गया। चाहत की मां का विलापआज भी प्रशासन के कानों तक नहीं पहुंच सका।
ट्रैक्टर उठा ले गए, मालिक से वसूली की मांग
एक अन्य गंभीर मामला ग्राम मुरवारी का है जहां ट्रैक्टर मालिक राकेश सोनी का वाहन रेत कंपनी द्वारा जब्त कर लिया गया। वाहन को न तो पुलिस के हवाले किया गया, न ही खनिज विभाग को जानकारी दी गई। उल्टे ट्रैक्टर मालिक से 50 हजार रुपये की मांग की गई और न देने पर फर्जी मामले में फंसाने की धमकी दी गई। अंततः राकेश सोनी को 20 हजार रुपये देकर ट्रैक्टर छुड़वाना पड़ा। यह घटना बताती है कि क्षेत्र में प्रशासनिक व्यवस्था पूरी तरह चरमरा चुकी है और रेत माफिया की समानांतर सत्ता चल रही है।
जहां अनुमति नहीं वहां भी खनन
गांव-गांव में अवैध रेत खनन हो रहा और रोजाना सैकड़ों ट्रॉली निकाली जा रही है। जिन गांवों में खनन की अनुमति नहीं है, वहां से भीरेत का उत्खनन हो रहा है। खासकर बम्हौरी और दशरमन जैसे इलाकों में रेत पॉइंट न होने के बावजूदए नदियों का दोहन जोरों पर है। सरकार को करोड़ों का नुकसान हो रहा है लेकिन माफिया की जेबें भर रही हैं। यह सब कुछ पुलिस और प्रशासन की नाक के नीचे हो रहा है।
ग्रामीणों से टोकन के नाम पर लूट
रेत कंपनी द्वारा ट्रैक्टर ट्रॉली मालिकों से 2000 से 2500 रुपये प्रति ट्रॉली वसूले जा रहे हैं। यह रकम न तो शासन के खाते में जाती है और न ही कोई वैध दस्तावेज दिया जाता है। ट्रॉली मालिक जब रॉयल्टी की मांग करते हैं तो धमकाया जाता है, मारपीट की जाती है और गुंडागर्दी की जाती है। यह सबकुछ बताते हैं कि क्षेत्र में कानून का नहीं, बल्कि माफिया का राज है। रेत खदान से खेत कंपनी अवैध उत्खनन खुद कर रही है जबकि ग्रामीण घर बनाने एक ट्राली रेत निकालते हैं तो पुलिस उसे पकड़कर वाहवाही लूटती है और कंपनी के वाहनों को छूट मिली है।