पाबड़ा में करोड़ों रुपए के नालों के बनाने के बाद भी गांव में पानी निकासी की समस्या*

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हिसार। (राजेश सलूजा) उकलाना खंड के *गांव पाबड़ा* में पंचायत द्वारा करोड़ों रुपए के निर्माण किए गए नालो के बावजूद भी गांव में पानी की निकासी का हुआ बुरा हाल। गांव के चारों ओर नालों के निर्माण के बावजूद भी गांव मैं पानी की निकासी नहीं हो रही।

थोड़ी सी बारिश होते ही पूरा गांव पानी से जलमग्न हो जाता है। गांव अंदर जाने के लिए मैन गलियों इतना जलभराव हो जाता है गांव के अंदर जाना बड़ा मुश्किल हो जाता है। जैसे कि वाटर सप्लाई के नजदीक प्राइमरी स्कूल वाली गली में गंदगी का बुरा हाल है। वहां छोटे-छोटे बच्चे को स्कूल आने में बड़ी दिक्कत होती है। स्कूल के साथ-साथ 2 आंगनबाड़ी भी उसी गली में मौजूद है। सोचने का विषय यह भी है कि आंगनवाड़ी में इतने छोटे बच्चे कैसे पहुंचते होगे। यह गांव के सरपंच प्रतिनिधि को सोचना चाहिए। बड़ा ही गंभीर विषय है। साडे 6 सालों में ग्रामीणों का कहना है कि सरपंच प्रतिनिधि ने लोगों को गुमराह करने की कोशिश की है। गांव में करोड़ों रुपए का विकास की बात कही जाती है । आज गांव की समस्या जस की तस है। सोचने का विषय यह करोड़ों रुपए कहां गए। वाटर सप्लाई के नजदीक वाली इंदिरा आवास कॉलोनी में पूरा गांव का पानी जा रहा है जिस कारण गरीब लोगों के मकान गिरने के कगार पर है। जहां सरकार ने तो 100 गज के प्लाट दिए। वही आज लोग छत के दबने के डर से रोज मर मर कर जीने क़ो मजबूर है। 1 घंटे की बारिश में पानी से लबालब भर जाती है।

पशु हॉस्पिटल वाली गली का बुरा हाल है। नालो का निर्माण बिना लेवल के किया गया। जिस कारण पशु हॉस्पिटल क़ी नई बिल्डिंग दबने के कगार पर पहुंच गई। जिसको महेज बने हुए 10 साल भी नहीं हुए वह बिल्डिंग आज खराब होने के कगार पर पहुंच गई।

उसी प्रकार सरकारी स्कूलों की बिल्डिंग भी बिना लेवल के नाले बनने के कारण के कंडम होने कगार पर पहुंच गई।


वही गुड्डू बगड़ में मुन्नी ग्रेवाल सरजीत नंबरदार वाली गली का बुरा हाल है पानी निकासी को लेकर काफी बार ग्रामीणों ने ग्राम पंचायत *सरपंच प्रतिनिधि* को समस्या से अवगत कराया। उसके बावजूद भी साडे 6 सालों से पानी निकासी की समस्या लगातार बनी रही।

पूरे गांव में नालियों की सफाई ना होने के कारण नालिया गंदगी से भरी हुई है। बारिश का मौसम है। नालियों की सफाई के कारण सभी गलियों में कीचड़ से बुरा हाल है। इससे आए दिन ग्रामीण गलियों में फिसल कर तो चोटिल हो रहे हैं । इस तरह की ग्राम पंचायत का कोई ध्यान नहीं है। कहां सोई हुई है *ग्राम पंचायत का जब इलेक्शन आता है। उठने वाले सरपंचों द्वारा बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं। बनने के बाद दावों की हवा निकल जाती है।*