चमत्कार! 84%सरकारी स्कूल बिना प्रिंसिपलों के,हजारों पद टीचर्स के खाली, फिर भी “वर्ल्ड क्लास शिक्षा माॅडल”


(हरेश उपाध्याय)नई दिल्ली : ऐसा चमत्कार तो बमुश्किल होता है।पर फिर भी होता है और वो फिर “वर्ल्ड क्लास शिक्षा के माॅडल” का तमगा हासिल कर लेता है।अब गौर फरमाएगा। राजधानी के सरकारी स्कूलों में प्रिंसिपल और वाइस प्रिंसिपल व शिक्षकों के ढेरों पद खाली हैं। गौरतलब है कि वर्षो से दिल्ली के अधिकतर स्कूल बिना प्रिंसिपल के ही चल रहे हैं। खाली पड़े प्रिंसिपल पदों की जिम्मेदारियों को स्कूलों में वाइस प्रिंसिपल पूरा करने में लगे हुए हैं, लेकिन सरकारी स्कूलों में वाइस प्रिंसिपल के भी कई पद खाली पड़े हैं। यहीं नहीं, टीजीटी, पीजीटी सहित शिक्षकों के भी हजारों पद खाली हैं। इन शिक्षकों की कमी को 20 हजार से ज्यादा गेस्ट टीचर पूरा कर रहे हैं।पर शिक्षकों की कमी को गंभीरता से नहीं लेती दिल्ली सरकार! चूंकि वर्ल्ड क्लास वाला तमगा तो हासिल हो ही चुका है।आंकड़ों के अनुसार दिल्ली के सरकारी स्कूलों में प्रिंसिपल के कुल 950 पद हैं। इसमें 154 पदों को ही भरा गया है,जबकि 796 पद अभी भी खाली हैं। यानी कि करीब 84 फीसदी प्रिंसिपल के पद सरकारी स्कूल में खाली हैं।वाइस प्रिंसिपल के 1670 पद हैं।जिनमें 1105 पदों को ही भरा गया है, जबकि 565 पद अभी भी खाली हैं।करीब 34 फीसदी वाइस प्रिंसिपल के पद खाली हैं। सरकारी स्कूलों में प्रिंसिपल और वाइस प्रिंसिपल के अलावा शिक्षकों के पद भी खाली हैं।इसमें शिक्षकों के 65979 पद हैं। जिसमें से 44069 पद ही भरे गए हैं। 33 फीसदी के साथ करीब 21910 पद खाली हैं। ग्रेजुएट टीचर(टीजीटी) के 33 हजार 761 पद हैं। इसमें 20 हजार 340 पद ही भरे गए हैं। 40 फीसदी करीब 13 हजार 421 पद खाली हैं और पीजी टीचर(पीजीटी) के कुल 17 हजार 714 पद हैं।जिसमें 13 हजार 886 पद भरे गए हैं।करीब 22 फीसदी यानी 3828 पद खाली हैं। मालूम हो कि जितने शिक्षकों के पद सरकारी स्कूल में खाली हैं। उनकी पूर्ति के लिए 20 हजार से ज्यादा गेस्ट टीचर कार्यरत हैं।मान लीजिए कि दिल्ली सरकार ने प्रिंसिपल व वाइस प्रिंसिपल और पीजीटी तथा टीजीटी के रिक्त पद भर लिए भी, तो फिर सरकार को कौन सा तमगा पहनाया जाएगा या खिताब से नवाजा जाएगा? चूंकि वर्ल्ड क्लास से ऊपर तो शायद संपूर्ण ब्रह्मांड वाला खिताब ही होता है।