Lakhisaray News: सानिया ने महज 16 वर्ष अवस्था में अपनी प्रतिभा से समाज का मान बढ़ाया

ब्यूरो चीफ लखीसराय से अनुराग आनंद की रिपोर्ट ✍️

(लखीसराय)सूर्यगढा़:- यह ऐसी शख्सियत की दास्तां है। जो महज 16 वर्ष की अवस्था में ना सिर्फ नौवीं बयो से पढ़ रही है,बल्कि गरीब मासूम बच्चों को पढ़ा भी रही है। एक मासूम बच्चे को अपने माता-पिता के साथ ईंट ढोते हुए देखकर उसका हृदय पसीज गया। और उन्हें लगा कि यह तो बच्चा बचपन छीनना हुआ। सूर्यगढा़ नगर परिषद क्षेत्र के चकमसकन ग्राम वासी श्रीमती लवली कुमारी और श्री प्रवेश कुमार की पुत्री सानिया कुमारी की परवरिश ननिहाल सूर्यगढा़ बाजार में हुई। नहीं पहली कक्षा से दसवीं कक्षा तक संत मैरी इंग्लिश स्कूल सूर्यगढा़ में पढ़ाई की और 84 प्रतिशत अंकों के हाथ मैट्रिक परीक्षा पास कर फिलहाल ऑनलाइन नीट की तैयारी कर रही है बायो मनपसंद विषय होने के कारण उन्हें मैथ के स्थान पर वायु विषय का चयन किया।

दरअसल यह मेडिकल की पढ़ाई करना चाहती है। इस विषयों में वह कहती है वे सफल डॉक्टर बनकर उन गरीब बीमार बच्चों बूढ़ों का इलाज करेगी जो इलाज के अभाव में या तो दम तोड़ देते हैं या फिर बेड पर तड़पते रहते हैं। पौधारोपण कार्यक्रम में उनकी अभी रुचि रही है उन्होंने अपने दादी यहां और ननिहाल दोनों जगहों पर गमलों में फूल पौधों के अलावा तुलसी के पौधों का रोपण किया उनका कहना है कि पौधा रोपण ही वायु प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण को रोकने में कारगर हो सकता है।

वह घर-घर जाकर बच्चों के पेरेंट्स को उनके बर्थडे पर पौधा-रोपण करने की अपील करती रही है। उन्होंने अपनी नानी जो कभी सुर्यपूरा पंचायत की मुखिया रह चूंकि थी इन्हीं से उन्होंने पौधारोपण के प्रति आकर्षण हुआ नृत्यकला में भी सोनिया की अच्छी खड़ी पकड़ है उसे कई बार प्रोत्साहित भी किया गया है । संत मेरी स्कूल सूर्यगढा़ का संस्कृतिक परिवेश में और रंजू सर तथा गोविन्द सर ने काफी मदद मिली उन्होंने 2015 में जब पहली बार स्कूल के वार्षिक समारोह में अपनी नृत्य कला का प्रर्दशन किया तो दर्शकों ने काफी सराहना मिली प्रिंसिपल, टीचर, स्टूडेंड सभी ने उनकी जमकर तारीफ की सानिया कहते हैं, कि हिंदी शिक्षक डॉ विजय विनीत ने तो मेरे हर पद-चाप , हर अंग संचालन को बड़ी बारीकी से देखा – परखा- निरिक्षण किया और मेरा उत्साह बढ़ाया।

सच कहूं तो मेरे जीवन को संवारने में उनकी बड़ा सहयोग रहा है। आज मैं जो कुछ भी हूं उन्हीं की वजह से वे हमारे प्रिय शिक्षक हैं मैं उन्हें कभी भूल नहीं पाउंगी वैसे मेरी सफलता का श्रेय मेरे नाना-नानी,माता-पिता,मामा-मामी के अलावा मौसी को जाता है। मौसी तो मेरी सहेली भी है जो हमें हमेशा सही राह बताती रही इस अवसर पर मैं अपनी अंतरंग सपना कुमारी को याद करूंगी जो हमेशा मेरा साथ देती रही है।