प्रधानमंत्री का अमेरिकी यात्रा के मायने और भारत के अर्थव्यवस्था की दूरगामी परिणाम

भारत में मजदूरों की मजदूरी विश्व की न्यूनतम दर पर है ।

हाल ही के दिनों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अमेरिका दौरा बड़ा ही ऐतिहासिक था । एक तरह से कह लीजिए एशिया में लोकतंत्र की बीज की नींव रख दी गई । इस तरह से कह लीजिए एशिया की अनेकता की लड़ाई को एक” मानवतावाद “की लोकतंत्र की बीज रोप दी गई और वह बड़ा ही हाइब्रिड निकला । अंकुर ले ली । लोकतंत्र की बगिया के पहरेदार बचा ली अगर दोगली मानसिकता वाली बुरी आत्मा के लोगों से सचमुच धरती भी जन्नत हो जाएगी । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा जाने से पूर्व पूरा विश्व ,अमेरिका ,यूरोप ,एशिया पर भारत के स्टैंड जानना चाहते थे । प्रधानमंत्री ने यात्रा जाने से पूर्व दो टूक कह दिया कि इंडिया एक लोकतांत्रिक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है । मगर लोकतंत्र की स्थापना तथा लोकतंत्र को मानने वाले राष्ट्र इंडिया के मित्र है । क्योंकि लोकतंत्र की दृष्टिकोण से इंडिया विश्व की सबसे बड़ी लोकतांत्रिक राष्ट्र है ।

जहां सरकार की चाबी आवाम के हाथों में है । और यहा चुनावी प्रक्रिया ज्यादा प्रभावी, ज्यादा पारदर्शी है । यानी नंबर वन । इसलिए इंडिया एशिया में अपने लोकतांत्रिक पड़ोसी राष्ट्रों की संप्रभुता ,सभ्यता ,संस्कृति, राष्ट्रवाद का सम्मान करती है साथ ही साथ उनकी संप्रभुता को नुकसान पहुंचाने वाले राष्ट्रों के खिलाफ इन राष्टो को नैतिक ,लोकतांत्रिक ,रणनीति, सैन्य मदद पहुंचाने का ऐलान करती है । ताकि जुल्मों सितम से ऊ ब कर कोई राष्ट् साम्राज्यवादी विस्तार वाद की ओर बढ़ते भटक कर मनोरोगी
ना हो जाए ।ऐसा मैसेज था कि पश्चिम, अमेरिका इंडिया को एशिया के रूप में मर गया था अमेरिका में वह स्वागत व्हाइट हाउस का रात्रि भोज सब ने देखा । इस दौरे में मानवता के लिए लोकतंत्र के लिए इंडिया तथा अमेरिका की ओर से एक दूसरे को सम्मान देने में कई प्रोटोकॉल तोड़े गए । सबसे ज्यादा मिर्ची एशिया में इंडिया का सबसे बड़ा पड़ोसी मुल्क को लगा । पता नहीं हम भारतीय तो हमेशा हर जगह मीठा भोजन परोसते हैं । अच्छा अमेरिका में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोकतंत्र की मंच से अमेरिका में यह घोषणा करते हैं कि हम इंडिया भैया हथियारों के प्रेमी नहीं क्योंकि मानवता, प्यार बांटने में हथियारों का क्या काम । मगर शोषित होते-होते ,मार खाते-खाते यह समझ गए हैं कि प्यार मानवता की बगिया में हथियारों का क्या काम। मगर उसे जिंदा रखने के लिए उसकी खुशियों की हिफाजत करने के लिए हमें हथियारों की जरूरत है । इसलिए हथियार खरीदना पड़ा । मगर लोकतंत्र की सबसे खूबसूरत खासियत इसकी अर्थव्यवस्था है । जो अगर एक बार निकली हर आवाम तक पहुंच जाएगी । यानी इसके व्यवस्था चक्र पूर्ण है ।आप यूरोप तथा अमेरिका जानते हैं कि चीन एशिया में लोकतंत्र की अर्थव्यवस्था को अपने अराजक विचारधारा तहत इस्तेमाल भी कर रहा है । लोकतंत्र की धज्जियां उड़ा रहा है। आपकी ही बनाई विश्व संप्रभुता को लीलता भी जा रहा है । यानी लोकतंत्र को खुली चुनौती दे रहा है । फिर भी आप उसे मदद पहुंचा कर उसी की अर्थव्यवस्था को मजबूत कर रहे हैं । अहंकारी तो होना स्वाभाविक ही है । आप इंडिया आइए और चीन से अच्छी उन्नत तकनीक से अपना कारोबार लगाइए । चीन में मजदूरी सस्ती है । इंडिया में इंडिया के मजदूर की मेहनत सस्ती है । मेहनत सस्ती होने के कारण हर प्रोडक्ट बनने समय कारगर बनने की गारंटी अत्यधिक रहती है । लोकतंत्र की व्यवस्था अनुसार यूरोप तथा अमेरिका के उद्योगपति आप इंडिया में प्लाट लगाएं ।सुविधा मुहैया करा दी जाएगी ।आपके माल संपत्ति की सुरक्षा के लिए अतिरिक्त सुरक्षा अधिनियम कानून बना दी जाएगी। प्रधानमंत्री के इस आवाहन के 19 घंटे उपरांत चीन में होने वाली निवेश की 44% निवेश इंडिया में चली आई । यकीन मानिए इसके दूरगामी परिणाम देखने को मिलेंगे । लोकतंत्र में अर्थव्यवस्था की इतनी बड़ी छलांग डुबती विश्व की अर्थव्यवस्था को जिंदा हो जाने की आस जगा गई । भारतीय अर्थव्यवस्था जो चाणक्य ऐसे तप पुरुषों ने दी है उस पर इसे कसे ।

विश्व की अर्थव्यवस्था में 18.5 % हिस्सेदारी रखती है । पिछले दो-तीन सालों की चीन की जीडीपी 4.4% है अब 44% की कमी इससे चीन का विश्व में 8.7% की हिस्सेदारी का कमी हुआ । यह चीन की घाटे इंडिया की अर्थव्यवस्था की झोली में आई ।इंडिया का जीडीपी 7.2% रहा है । चीन का घटा 44% वाली यह हिस्सेदारी जुड़ी तो इंडिया की हिस्सेदारी विश्व अर्थव्यवस्था में 11.3% है । इसमें जुड़कर 16% हो गई । यह यहीं समाप्त नहीं हुआ है। अरे भाई यकीन मानिए इंडिया में कारोबार करके देखिए । इंडिया में लोकतंत्र की अर्थव्यवस्था का अलग ही विकेंद्रित चक्र बना है । इंडिया को चीन का मिला हिस्सेदारी 8.7% है । इतना चीन का काम हुआ । चीन की कारोबार का 44% कमी का मौका इंडिया को मिला । और इंडिया अपनी पुरानी प्रोडक्ट लिए जो हिस्सेदारी रखी हुई थी । वह भी तो 44% बढी। यानी इंडिया की अर्थव्यवस्था की हिस्सेदारी जो 11 पॉइंट 3 प्रतिशत है इसकी 44% लगभग 49% बढी । लगभग 13.7% इंडिया का कुल हिस्सेदारी विश्व में करंट 13.7% + 11.3% बढ़कर 25% हुई । यह तो दुगनी से भी ज्यादा मुनाफा हुआ इंडिया की अर्थव्यवस्था का । यह दोनों फायदे आपस में जोड़कर इंडिया की जीडीपी में चमत्कारी उछाल ला देती है । जाहिर है इसके मुनाफे सभी में बटेंगे ।इससे इंडिया ,एशिया पूरा विश्व खुशहाल हो जाएगा। अमेरिका यूरोप से चली लोकतांत्रिक अर्थव्यवस्था का विकेंद्रीकरण भी सरल ,सुलभ ,आसान सुरक्षित रहेगा । आर्थिक अराजकता जो विश्व में फैली है वह समाप्त हो जाएगी । चीन की भी निरंकुश अर्थव्यवस्था पर लगाम लगेगी । आर्थिक असुरक्षा समाप्त हो जाएगी ।
जय हिंद
कुमार गौरव
कोडरमा ,झारखंड