विभागीय आदेशों को तख़्त पर रखकर पंचायत शिक्षक व क्षेत्रीय शिक्षक करते हैं कार्य,आखिर जबाबदेह कौन?

बिहार में पंचायत शिक्षकों एवं क्षेत्रीय शिक्षकों के सामने शिक्षा विभाग के मुख्य सचिव के.के पाठक फेल है या उनके आदेश .. !

दैनिक दैनिक समाज जागरण
महेश शर्मा ,संवाददाता / अनिल कुमार मिश्र, ब्यूरोचीफ, बिहार- झारखंड प्रदेश।

औरंगाबाद (बिहार) 8 दिसंबर 2023:-बिहार में बिगड़ी हुई शिक्षा व्यवस्था को सुधारने के लिए शिक्षा विभाग के मुख्य सचिव के. के पाठक चाहे जितना भी प्रयास कर लें/ फंडा को अपना लें, वह पंचायत शिक्षकों एवं विद्यालयों में पदस्थापित क्षेत्रीय शिक्षको के सामने तुच्छ (1.निःसार, सत्त्वरहित ।2.महत्त्वहीन। ) हैं ! क्योंकि बिगड़ी हुई शिक्षा व्यवस्था में सुधार लाने के लिए किसी विद्यालयों का चयन कर जांच करने की आवश्यकता नहीं है। बल्कि अचानक किसी विद्यालयों की जांच कर,लपरवाह घर बैठे वेतन उठाने वाले तथा इनके अनैतिक कार्यों के संरक्षक ( बंगले में बैठे शिक्षा विभाग की तख्तियों को लहराने वाले )अधिकारियों पर कठोर व दंडनीय कार्रवाई की भी आवश्यकता है। तभी बिहार के सरकारी विद्यालयों में शिक्षा व शिक्षकों में सुधार संभव हैं।

     बच्चों के अभिभावकों एवं जनमानस से मीडिया को मिल रहे आवाज ,यह संकेत देते हैं की पड़ोसी राज्य झारखंड की तरह बिहार प्रदेश के सभी विद्यालयों में अगर शिक्षकों की हाजिरी डिजिटल बायोमेट्रिक से बनाया जाए तो कुछ हद तक शिक्षकों पर नकेल कसा जा सकता है।

        अगर बात करें सरकारी विद्यालय में शिक्षा में सुधार की तो सबसे पहले सरकारी शिक्षकों को अपने क्षेत्रियों विद्यालय से बहुत दूर भेजना होगा! पंचायत शिक्षकों को अपने पंचायत से किसी अन्य पंचायत में भेजना जरूरी होगा तभी शिक्षा में सुधार संभव हैं।

      अगर बात करें बिहार के सरकारी विद्यालयों में फर्जी एडमिशन कर सरकारी ख़ज़ाने/ बच्चों के अहार व पोषाहार  तथा पोषाक की राशि का गबन व घोटाले की तो इस घोटाले में विद्यालयों में शिक्षक के जगह, दादा बन चुके पंचायत शिक्षकों से लेकर नीचे से ऊपर तक अधिकारियों की संलिप्तता भी सामने आयेंगे।
  • पंचायत शिक्षक आज भी बड़ी आसानी से अपना हजारी बनाकर स्कूल से हो जाते हैं रफ़्फ़ु चक्कर हो जाते है, आखिर जिमेवार कौन?

*सरकारी विद्यालय में फर्जी ऐडमिशन का दौर आज भी है जारी ‌।

  • फर्जी एडमिशन से हेड मास्टरों के साथ-साथ शिक्षकों को भी होती है बल्ले बल्ले। अगर बात करें ,फर्जी एडमिशन पर रोक लगाने का ,तो इस पर नकेल तभी संभव है जब सरकारी व निजी विद्यालयों में ऑनलाइन एडमिशन हो, जब बिहार प्रदेश में ऑनलाइन जाति, आय, आवासीय बन सकते है ! थाने में एफ आई आर कि सुविधा ऑनलाइन हो सकते हैं! तो सरकारी विद्यालय एवं नीजी विद्यालयों में ऑनलाइन एडमिशन के सुविधा हो, तभी एक बच्चे को दो जगहों पर नामांकन का जारी खेल रूक पायेंगे।