राजू श्रीवास्तव : हास्य कला का उढ़ा परिंदा, सभी के दिल में रहेगा जिंदा




– ईश्वर ,अल्लाह गॉड ही तो संसार को हंसाता और रुलाता है और एक निश्चित कालखंड में वही राजू श्रीवास्तव भी बन जाता है।

– हास्य कला प्रतिभा के सिरमौर राजू श्रीवास्तव को श्रद्धांजलि देने वालों का तांता

सुनील बाजपेई
कानपुर। सांसारिक दृष्टिकोण से यह सच है कि हम लोग 100 या 120 साल पहले ना तो अपने वर्तमान रूप में इस दुनिया में कहीं थे और ना ही इसके बाद कहीं होंगे |
जीवन के संदर्भ में आध्यात्मिक दृष्टिकोण के मुताबिक यह भी सच है कि अजर ,अमर , अविनाशी जो भी जीवात्मा इस संसार में शरीर धारण करती है। पूर्व जन्म के कर्म और संस्कारों के अनुरूप उसकी इस आशय की भूमिका भी तय सी होती है कि वह अपने जन्म और मृत्यु के बीच के कालखंड यानी जीवन में कब से , कहां पर , कब तक और क्या भूमिका अदा करेगा | मतलब संसार में हम लोग वही हैं और वही कर रहे हैं जो हमारे या किसी के भी पूर्व जन्म के कर्मों और संस्कारों के अनुरूप पूर्व नियोजित है। …और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से इसी का आधार मानी जाती है – सुख या दुख की उपलब्धि। और सांसारिक नजरों में इसमें भी जन्म खुशी यानी मुस्कुराहट और मृत्यु दुख यानी मायूसी से संदर्भित होता है। जीवन में हताशा ,निराशा और मायूसी मतलब दुःख के खिलाफ यही खुशी और यही मुस्कुराहट मतलब हंसी खुशी ही संसार में ईश्वरी व्यवस्था का संचालन करती है और इसके लिए वह ईश्वरीय व्यवस्था अपना माध्यम संसार में शरीर धारण करने वाली अपने आत्मांश को ही बनाती हैं। जोकि आत्मा की ही तरह लिखने , पढ़ने और बोलने आदि के रूप में संसार संचालक अजर ,अमर , अविनाशी अक्षर से शब्द और शब्द से वाक्य के रूप में वही भूमिका अदा करता है ,जो दुख और मायूसी के खिलाफ खुशी और मुस्कुराहट का सृजक हो। और इसी खुशी और मुस्कुराहट के सांसारिक सृजक का नाम है – राजू श्रीवास्तव। उन्होंने भले ही स्थूल से सूक्ष्म यानी आत्म शरीर धारण कर लिया हो लेकिन हास्य कला के क्षेत्र में उनका कृतित्व और व्यक्तित्व लोगों के दिलों में उन्हें सदैव जिंदा रखेगा।
हास्य कला जगत के सिरमौर रहे राजू श्रीवास्तव का जन्म 25 दिसंबर 1963 को
उत्तर प्रदेश के कानपुर में शरीर धारण करने वाली हॉट कला जगत की इस महान आत्मा के बचपन का नाम सत्य प्रकाश श्रीवास्तव था। बचपन से ही मिमिक्री और कॉमेडी का बहुत शौकीन राजू को कॉमेडी शो द ग्रेट इंडियन लाफ्टर चैलेंज से पहचान मिली थी । इसमें पहचान मिलने के बाद हास्य कला जगत के इस महान कलाकार ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। इसके बाद 1993 का वह कालखंड भी आया जब संसार के संचालन की ईश्वरीय व्यवस्था के तहत शिखा श्रीवास्तव उनके जीवन संगिनी बनी। उनके दो बच्चे हैं।
इसी के साथ स्थूल से सूक्ष्म शरीर धारण करने वाले हास्य कला के मजबूत स्तंभ रहे राजू श्रीवास्तव ने राजनीति में भी अपना हाथ अजमाया था लेकिन 2014 में समाजवादी पार्टी से लोकसभा का टिकट मिलने के बाद भी उन्होंने चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया था। इसके बाद वह चुनाव से पहले बीजेपी में शामिल हो गए । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा वह स्वच्छ भारत अभियान में भी नामांकित किए गये थे जिसके बाद उन्होंने स्वच्छता को लेकर विभिन्य शहरों में चलाए गए अभियानों में भी हिस्सा लिया था। और इसी के बाद 2019 में वह यूपी फिल्म विकास परिषद का अध्यक्ष भी बनाए गए थे।
अपने स्थूल शरीर को छोड़कर सूक्ष्म शरीर में प्रवेश करने वाले राजू श्रीवास्तव जिस तरह से सदैव हंसाने और मुस्कुराने के रूप में लोगों
को आनंद के सागर में गोते लगवाते रहे। संसार में उनकी यही भूमिका उन्हें लोगों दिलों में सदैव जिंदा रखेगी। उनके निधन से आज पूरे देश की तरह उनकी जन्मभूमि कानपुर भी बहुत गमगीन है और उन्हें श्रद्धांजलि देने वालों का भी तांता लगा हुआ है। क्योंकि ईश्वर ,अल्लाह गॉड ही तो संसार को हंसाता और रुलाता है और एक निश्चित कालखंड में वही राजू श्रीवास्तव भी बन जाता है।