दैनिक समाज जागरण
ब्यूरो चीफ उमाकांत साह
प्रेषित/ आचार्य श्री रुपेश पाण्डेय
बांका/चांदन
आज सभी सनातनी हिन्दू परिवारों एवं सनातन के नारे युवक / युवतियों को दीपों के महोत्सव दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ…!
आज दीपावली के दिन बचपन से ही हम सभी को त्रेता युग के भगवान राम आज के ही दिन 14 वर्षों के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे जिसके उपलक्ष्य में अयोध्या वासियों ने दीपावली मनाई थी,उसी उपलक्ष्य में हम सब दीपावली मनाते हैं।
तो फिर… आज के दिन हमलोग माँ लक्ष्मी और गणेश की पूजा क्यों करते हैं ???
और, ये बात हम सबको काफी बाद में मालूम पड़ा कि… दीपावली सिर्फ भगवान राम से ही संबंधित नहीं है बल्कि हमारी ३-४ दिन चलने वाली दीपावली का ये महोत्सव असल में ३ युगों की ४-५ घटनाओं के उपलक्ष्य में मनाया जाता है..
जो कि संयोग से इन ३-४ दिनों में ही पड़ते हैं..
और, हम अनजाने में ही सबको दीपावली का ही अंग समझ लेते हैं.
आश्चर्यजनक रूप से, हमलोग सभी युगों में घटी घटनाओं की खुशी मनाते हैं लेकिन हममें से अधिकांश लोग ये नहीं जानते हैं कि आखिर हम ये मना क्यों रहे हैं…
इसीलिए, आज हम सब संक्षेप में थोड़ी जानकारी बढ़ाने का प्रयास करते हैं…
हमारी दीपावली शुरू होती है धनतेरस से…
धनतेरस के अगले दिन छोटी दीपावली,
फिर आज की दीपावली..
तथा, आज ही माँ लक्ष्मी-गणेश की पूजा. गौधुली वेला में
एवं, दिन के निशान रात्री वेला में माँ काली की पूजा होती है जो अधिकतर बच्चे समझते हैं दूसरे दिन काली पुजा….
तो… इन सबका संबंध समझते हैं कि आखिर ये है क्या…
१. सतयुग में समुद्रमंथन के दौरान धनतेरस अर्थात कार्तिक माह की त्रयोदशी तिथि के दिन ही आरोग्य के देवता धन्वंतरि हाथ में अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे.
इसीलिए, धनतेरस के दिन हमलोग धन्वंतरि देव की पूजा करते हैं एवं इसी मान्यता के साथ कोई पात्र खरीदते हैं कि उसमें भी अमृत के कुछ अंश होंगे.
२. उसके अगले दिन चतुर्दशी तिथि को यानि छोटी दीपावली का संबंध सतयुग या त्रेता से नहीं बल्कि द्वापर युग से है..
और, उसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने प्राग्ज्योतिषपुर (आज के असम) में राक्षस नरकासुर का वध कर उसके द्वारा बंधक बनाई गई १६,००० लड़कियों को छुड़वाया था.
जिसकी खुशी में… द्वारिका वासियों ने इस दिन अपने घरों के आगे रंगोली बनाकर और दीप जलाकर खुशियां व्यक्त की थी..
इसीलिए, इस दिन हमलोग भी घर के आगे दीप जलाकर अपनी खुशियां व्यक्त करते हैं.
३. दीपावली के दिन… विभिन्न युगों में तीन घटनाएँ हुई थी… जिनके कालखंड जरूर अलग अलग रहे हैं लेकिन दिनदर्शिका(कलेंडर) के अनुसार दिन एक ही पड़ता है.
कार्तिक मास के अमावस्या को ही त्रेतायुग में भगवान राम 14 वर्ष के वनवास के उपरांत अयोध्या वापस लौटे थे.. जिसकी खुशी में अयोध्यावासियो ने घर के आगे दीपमालाएं जलाकर अपनी खुशी व्यक्त की थी…
इसीलिए, हमलोग भी अपने घरों के आगे दीपमालाएं जलाकर उस घटना की खुशी व्यक्त करते हैं.
साथ ही… आज के ही दिन अर्थात कार्तिक मास के अमावस्या को ही सतयुग में समुद्र मंथन के दौरान माता लक्ष्मी प्रकट हुई थी…
इसीलिए, आज के दिन हमलोग माता लक्ष्मी और गणेश की भी पूजा करते हैं.
इसके अलावा…. सतयुग में ही एक अलग कालखंड में माँ महाकाली ने अपने समय के सबसे दुर्दांत राक्षस “रक्तबीज” का वध भी आज के ही दिन किया था..
इसीलिए, उस घटना के उपलक्ष्य में आज की रात माँ महाकाली की प्रतिमा स्थापित कर उनकी पूजा की जाती है.
चूँकि, आज रात लोग दीपावली एवं लक्ष्मी पूजन में व्यस्त रहते हैं इसीलिए अधिकांश लोग दीपावली के अगले दिन काली पूजा समझ लेते हैं.
जबकि, ऐसा नहीं है और महाकाली की पूजा कार्तिक मास के अमावस्या में ही की जाती है…!
इस तरह… हमारी ये दीपावली ३ युगों में घटी ४ घटनाओं का सम्मिश्रण है…
इसीलिए… हमलोगों को भी सारी घटनाओं को समझते हुए चौगुनी खुशी से दीपावली का त्योहार मनाना चाहिए एवं अपने आने वाली पीढ़ी को भी अपने सभी त्योहारों का संदर्भ में बताना चाहिए…
ताकि , किसी को ये संदेह(शंका/कन्फ्यूजन) न रहे कि…. अगर दीपावली भगवान राम के अयोध्या आगमन के उपलक्ष्य में मनाते हैं तो फिर उस दिन हम माँ लक्ष्मी और गणेश की पूजा क्यों करते हैं…!
इन सब कथाओं के अलावे… एक बार फिर से सभी सनातनी हिन्दू परिवारों को दीपों के महोत्सव दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ.
आपका आज का दिन शुभ एवं मंगलमय हो…!!
हमारे पुरखों, ऋषियों, मुनियों ने वैज्ञानिक पहलुओं को धर्म के साथ जोड़कर उस पर्व त्योहारों पर खानपान एवं अन्य सभी चीजों को वारीकी से अध्ययन कर समाहित कर मनाने की परंपरा को अपनाया था क्योंकि जो खनिज पदार्थों का सेवन हम सभी नहीं कर सकते हैं उसका सेवन सनातन के पर्वों के साथ जुड़ी हुई हैं। जो अब विज्ञान भी सनातन वैदिक पद्धति को वैज्ञानिकता से भरा मान लिया है।
जय श्री राम…!
जय माँ लक्ष्मी…!!
जय महाकाल…!!!
जय सनातन…..!!!
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