वारिसलीगंज (नवादा) (अभय कुमार रंजन):-चार बर्ष पूर्व वारिसलीगंज रेलवे स्टेशन परिसर में आमजनों के सहयोग से जल निकासी को ले बनाया गया करीब तीन सौ मीटर नाले को रेल अधिकारियों द्वारा अवैध करार देकर जमींदोज करवा दिया गया था। परंतु अब रेल अधिकारियों के निर्देशन में संवेदक द्वारा जमींदोज किए नाले को ही नया स्वरूप देकर सरकारी राशि बंदरबांट का प्रयास किया जा रहा है। इस बाबत जब जागरण प्रतिनिधि ने गहन पड़ताल शुरू किया तब निर्माण कार्य करवा रहे अभियंता ने कार्य बन्द कर देने की बात कही।
बता दें कि रेलवे स्टेशन के पश्चिम दुर्गा मंदिर के पास से गुमटी रोड दुर्गा मंदिर तक आम लोगो के द्वारा करीब चार साल पहले मोहल्ले के नालियों का पानी उतर दिशा में निकास को ले नाला बनवाया था। जब नाला बन कर पूरी तरह से तैयार हो गया। तब किसी माध्यम से रेलवे के वरीय अधिकारियों को सूचना मिली। तब अधिकारियों के निर्देश बाद नाला को जमींदोज करवा दिया गया था। अब जब नया प्राक्कलन के तहत पुनः रेलवे खुद नाला निर्माण को ले इस्कॉन कंपनी को निर्माण का जिम्मा दिया है। तो संवेदक मोटी कमाई के चक्कर में तृतीय श्रेणी का इंट प्रयोग कर पुनः उक्त पुराने नाले पर इंट जोड़ कर नया स्वरूप देने का प्रयास किया जा रहा है। जबकि पुराना नाला रेल की परती जमीन पर बिना मापी बेतरतीब ढंग से बना दिया गया था। इस बाबत कार्यस्थल के अभियंता आदित्य कुमार ने कहा कि रेल अधिकारियों के निर्देश पर नाला बनाया जा रहा है। पत्रकारों द्वारा पूछने पर की यह मरम्मत कार्य किया जा रहा है। या नवनिर्माण। तब संवंधित अभियंता कुछ भी बताने से परहेज किया।
इस संबंध की बातचीत में नवादा रेलवे में नियुक्त निर्माण कार्य निरीक्षक(आई ओ डब्लू) तारकेश्वर प्रसाद ने कहा कि मेरी जानकारी में नहीं थी। सूचना मिली है। गलत ढंग से हो रहे निर्माण को तत्काल रोक दिया जाएगा। बाद में रेलवे की जमीन का सीमांकन करवाकर नया नाला बनवाया जाएगा।
जानकारी हो कि वारिसलीगंज रेलवे स्टेशन परिसर में करीब पांच छह एकड़ परती जमीन है। जो सीमांकन एवं वाउंड्रीवाल के आभाव में आसपास के लोगो द्वारा अतिक्रमण किया जा रहा है। जबकि कुछ पर स्थानीय लोग अबैध रूप से दुकान लगा कर रेलवे को राजस्व का चूना लगा रहे हैं। वही रेलवे के पश्चिमी सीमा पर कुछेक ऊंची इमारत भी रेल की जमीन पर अबैध कब्जा कर बनाया गया है।जरूरत है। रेल परिसर को मोदी जी की स्वच्छता एवं स्टेशन परिसर को आकर्षक स्वरूप देने को ले परती भूमि को अतिक्रमण मुक्त करवाकर समतलीकरण एवं पार्क आदि का निर्माण करवाने की ताकि रेलयात्रियों को खुशनुमा माहौल मिल सके।