मस्तुरी विधानसभा में दावेदारों के बीच मचा घमासान, टिकिट पाने हद पार करने से भी नहीं चुक रहे दावेदार

कांग्रेस संगठन के अनुशासन को धता बताकर टिकिट के दावेदार मनमानी पर उतरे

प्रतिद्वंदी दावेदार को नीचा दिखाने लगा रहे साम-दाम-दंड-भेद की नीति

कांग्रेस में अनुशासन सर्वोपरि मगर मस्तुरी विधानसभा में टिकिट पाना है सर्वोपरि

समाज जागरण ब्यूरो

बिलासपुर। टिकट प्रत्याशियों की महत्वाकांक्षाएं संगठन के अनुशासन को तार तार कर दिया है। टिकट दावेदार को इस बात का भान है कि जिला ग्रामीण अध्यक्ष स्वयं एक विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने की इच्छा रखते हैं यही कारण है कि वे दावेदारों पर अनुशासन का अंकुश इस्तमाल नहीं कर सकते यही कारण है कि ब्लॉक स्तर की विधानसभा क्षेत्र में शहरी नेता अपने ग्रुप के दावेदारों को मदद करने पहुंच जाते हैं। जहां पर कांग्रेस का विधायक है वहां टिकट के दावेदार खामोश हैं शेष स्थानों पर दावेदारी इस हद तक है कि जीत होगी या नहीं उसके पहले ही प्रतिस्पर्धा के चक्कर में पार्टी की भद पिट जायेगी। हर दावेदार सीएम को अपना बताते हुए टिकट पर दावा ठोक रहे है। यदि मुख्यमंत्री ने यदि अपनी सरलता का परिचय देते हुए किसी प्रत्याशी को कभी हेलीकॉप्टर मे कभी घुमा दिया तो वह स्वयं को कका का दत्तक पुत्र बताकर टिकट का दावेदारी ठोकना चालू कर दे रहा है।

प्रत्याशियों की ऐसी आपाधापी से सरकार की कितनी योजनाओं का प्रचार हो रहा है वह तो नहीं, पर संगठन का अनुशासन तार तार जरूर हो रहा है। अभी कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष ने अपनी कार्यकारणी भी नहीं बनाई है पर ब्लॉक स्तर पर दावेदार टिकट के लिए एक घंटा जाया करना नहीं चाहते, मस्तूरी मे छाया विधायक की कार्यक्रमों में ऐसी अवहेलना पहले कभी नहीं हुई जैसी मस्तूरी जोड़ो यात्रा में हुई। ब्लॉक, जिला एवम प्रदेश के संगठन को भी धत्ता दिखाकर अपनी मनमानी की सारी हदें पार करने मे कोई कसर नहीं छोड़ रहे, साथ ही जिला स्तर पर संगठन इतना कमजोर हो गया है कि प्रत्याशियों की दावेदारी के तौर तरीकों पर कोई दिशा निर्देश भी जारी नहीं कर पाता इससे उलट भारतीय जनता पार्टी में इन दिनों संगठन का माइक्रो मैनेजमेंट इतना सशक्त है कि पार्टी के पदाधिकारी मीटिंग के पल पल की जानकारी या तो ऊपर पहुंचा रहे हैं अन्यथा ऊपर से जानकारी ले ली जाती हैं। जरा सा संदेह होने पर वीडियो कॉल के मार्फत मोनिटर किया जाता है।

बिलासपुर की दो चर्चित सीट पहली बेलतरा जो सामान्य श्रेणी की है और दूसरा मस्तूरी जो एससी वर्ग के लिए आरक्षित है बेलतरा सीट पर छत्तीसगढ़ के मुखिया की नजरे सीधी टिकी हुई हैं इसलिए इस सीट के दावेदार पूर्व की अपेक्षा उठा पटक सीधे करते नहीं दिखाई देते पर मस्तूरी में दावेदार अपने तौर तरीके खुलकर अजमा रहे हैं। भले ही उनके तौर तरीकों से पार्टी का नुकसान हो जाए। इसे अपनी ही टिम में गोल मारना कहा जाता है और काम में मस्तूरी के दावेदार सक्रिय हैं जोड़ने के नाम पर पहले अपने प्रतिस्पधी को काटना ही इनकी योजना है। 4 साल पूर्व बिलासपुर विधानसभा में ऐसे ही गुट 10 साल से सक्रिय थे जब कांग्रेस ने वास्तविक स्थिति समझी और ताजे चेहरे को पुराने चेहरों पर तरहीज दी, तब सब को याद है की पार्टी भवन के बाहर ही किस तरह विरोध प्रदर्शन हो गया पर हाई कमान का निर्णय सही निकला पार्टी के पुराने खुदुस भवन से लेकर बाहर तक अधिकृत प्रत्याशी का नुकसान करते रहे। पर चुनाव कांग्रेस की झोली में गया ऐसे ही चेहरे खनिज संपदा से भरपूर एससी आरक्षित सीट मस्तूरी में इन दिनों सक्रिय हैं। वे अपनी पसंद के ऐसे प्रत्याशी को टिकट दिलाना चाहते हैं|