टिकट की दौड़ में मौसी पर भारी पड़ रही संचिता


शहडोल। मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव की उल्टी गिनती प्रारंभ हो चुकी है और जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहा है वैसे-वैसे विधानसभा सीट से टिकट के दावेदार जी तोड़ कोशिश करना प्रारंभ कर दिए हैं। शहडोल जिले की प्रमुख विधानसभा सीट जो कि जिला मुख्यालय से लगी हुई है, वह सीट है जयसिंहनगर विधानसभा सीट, यहां से पूर्व विधायक श्रीमती प्रमिला सिंह और भारतीय जनता पार्टी महिला मोर्चा की जिला महामंत्री श्रीमती संचितासरवटे भारतीय जनता पार्टी से टिकट की दावेदार हैं और दोनों में मौसी -भतीजी का रिश्ता है। रिश्ते में प्रमिला ,सरवटे की मौसी हैं। गौर करने वाली बात यह है कि 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव में भतीजी संचिता अपनी मौसी प्रमिला पर भारी दिखाई पड़ रही है जिसका एक ही कारण है कि पार्टी के प्रति निष्ठा। हमेशा ही जनता जनार्दन के बीच सुख दुख में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने वाली श्रीमती सरवटे संगठन में विभिन्न दायित्व के साथ नगर पालिका परिषद शहडोल की पार्षद रह चुकी है और वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी महिला मोर्चा जिला महामंत्री है। वहीं दूसरी ओर श्रीमती प्रमिला सिंह वर्ष 2013 में जब भाजपा से टिकट पाई थी सबवे संगठन के किसी प्रमुख पद में नहीं रही। पैसों के दम पर और पति के आईएएस अधिकारी होने के कारण चुनाव जीत भी गई लेकिन विधायकी कार्यकाल के दौरान उन्होंने कार्यकर्ताओं एवं जनता जनार्दन से दूरी बना ली और इसका परिणाम यह है कि 2018 में उनकी टिकट काट दी गई। जिस पार्टी ने उन्हें विधायक का टिकट दिया और विधानसभा तक पहुंचाया उस पार्टी से टिकट न मिलने के बाद ही प्रमिला का मोह भंग हो गया और उन्होंने कांग्रेस की सदस्यता ले ली खबर यह है कि प्रमिला ने भाजपा छोड़ने का मन तब बनाया जब देश के प्रधानमंत्री शहडोल जिले के लालपुर मैदान में कार्यकर्ताओं को संबोधित कर रहे थे। ऐसे में पार्टी के शीर्ष नेताओं पर क्या बीती होगी यह तो शीर्ष नेता ही बता सकते हैं। प्रमिला ने कांग्रेस की सदस्यता ली और लोकसभा के चुनाव में कांग्रेस से टिकट भी पाने में सफल रही। हालांकि जनता जनार्दन ने लोकसभा के चुनाव में प्रमिला को सिरे से नकार दिया और लगभग 4 लाख वोट से पराजित हुई। खबर तो यह भी है कि प्रमिला ने अपनी भतीजी संचित सरवटे पर कांग्रेस में शामिल होने का काफी दबाव भी बनाया था लेकिन सरवटे ने भाजपा के प्रति निष्ठा दिखाई और लोकसभा चुनाव में भाजपा के प्रत्याशी के पक्ष में प्रचार-प्रसार भी किया। ऐसे में देखना होगा कि भारतीय जनता पार्टी आलाकमान पार्टी के प्रति निष्ठावान कार्यकर्ता के प्रति समर्पित रहेगी या फिर एन वक्त पर पार्टी को दगा देने वाली कार्यकर्ता पर भरोसा जताएगी। सवाल यह उठता है कि पार्टी की विचारधारा को छोड़कर भाजपा के विरोधी दल कांग्रेस के साथ लोकसभा चुनाव लड़ चुकी और फिर पलट कर भाजपा से चुनाव लड़ने की तैयारी बना रही प्रमिला पर पार्टी ध्यान देगी या नहीं। यदि दोनों दावेदारों के संगठन में कार्य करने की ओर नजर दौड़ाई जाए तो संचिता प्रमिला से अधिक समय तक संगठन में कार्य किया है। संचिता वर्ष 2011 से 13 तक भारतीय जनता पार्टी अनुसूचित जनजाति मोर्चा की नगर अध्यक्ष रही, 2015 में अनुसूचित जनजाति मोर्चा जन भागीदारी समिति की सदस्य, भारतीय जनता पार्टी आईटी सेल में कार्य किया, 2017 से 22 तक नगर पालिका परिषद की पार्षद रहते हुए सभापति भी रही। वर्तमान में अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय रीवा कार्य परिषद की सदस्य एवं भाजपा महिला मोर्चा की जिला महामंत्री हैं। वही प्रमिला सिंह संगठन के किसी भी महत्वपूर्ण दायित्व में नहीं है और भाजपा में शामिल होने के बाद सीधे विधानसभा की टिकट मांग रही है। बताया जाता है कि भाजपा संगठन 2023 के विधानसभा चुनाव में युवाओं पर ज्यादा भरोसा कर रही है और राजनीति में युवाओं को आगे ला रही है युवाओं को ही देश की रीढ़ माना जाता है ऐसे में जयसिंहनगर विधानसभा सीट पर भी श्रीमती संचिता सरवटे पर भी युवा प्रत्याशी होने के नाते पार्टी भरोसा जता सकती है।