तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के जिनालय में प्रवर्तक मुनि श्री 108 सहज सागर जी मुनिराज और निर्यापक मुनि श्री 108 नवपदम सागर जी महाराज की गरिमामयी उपस्थिति में विधि-विधान से हुआ अभिषेक
तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी, मुरादाबाद में भारत गौरव, तपस्वी सम्राट, अंतर्मना आचार्यश्री 108 प्रसन्न सागर जी महामुनिराज के परम प्रभावक शिष्य, प्रवर्तक मुनि श्री 108 सहज सागर जी मुनिराज और निर्यापक मुनि श्री 108 नवपदम सागर जी महाराज का भव्य मंगल प्रवेश हुआ। श्रावकों के दिव्य घोष ने संपूर्ण वातावरण में अद्भुत ऊर्जा घोल दी। स्वागत में कलश लेकर श्राविकाएं और भक्तों ने महाराजश्री के मंगल प्रवेश पर पथ को रविकिरणों सम प्रकाशित कर दिया। टीएमयू जिनालय तक संपूर्ण पथ जयकारों से गुंजायमान होता रहा। जिनालय में प्रवेश से पूर्व मुनिराज के पाद प्रक्षालन का सौभाग्य टीएमयू चांसलर परिवार से श्रीमती ऋचा जैन और श्रीमती जाह्नवी जैन को मिला। मुनिराजों ने देववंदना के उपरांत प्रतिक्रमण किया। भावविभोर करने वाली और संगीतमय गुरुभक्ति के बाद भक्ताम्बर दीप विधान हुआ। मुनिराज की आरती का सौभाग्य यूनिवर्सिटी की फर्स्ट लेडी श्रीमती वीना जैन और पुत्रवधू श्रीमती ऋचा जैन को प्राप्त हुआ। इससे पूर्व जिनालय पहुंच कर कुलाधिपति श्री सुरेश जैन ने सहज सागर जी मुनिराज का बड़ी विनम्रता से शीश झुकाकर सत्कार किया। दूसरी ओर जिनालय में मुनि श्री 108 सहज सागर जी मुनिराज और निर्यापक मुनि श्री 108 नवपदम सागर जी महाराज की गरिमामयी उपस्थिति में विधि-विधान से अभिषेक एवम् शांतिधारा हुई।
संत भवन में मुनिश्री ने अपने सारगर्भित एवम् संक्षिप्त प्रवचन में कहा, जीवन में पुण्य और पुरुषार्थ दोनों से मिलकर ही सफलता मिलती है। न तो केवल भगवान की श्रद्धा और न केवल किताबों से परीक्षा पास नहीं की जा सकती है। उन्होंने जीवन में नकारात्मक ऊर्जा को हटाकर सकारात्मक ऊर्जा को अपनाने की सलाह दी। सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने के लिए उन्होंने तमाम उदाहरण दिए। बोले, यदि रात में हम अपने सिर के नीचे नकारात्मक ऊर्जा रखकर सोते हैं तो नकारात्मक विचार आएंगे। नकारात्मकता से बचने के लिए प्रतिदिन सुबह-शाम एक घंटे दीपक जलाना चाहिए। गाय के घी का दीपक जलाना अति शुभ होगा। साथ ही बोले, जो समय की कद्र नहीं करते, समय उनकी कद्र नहीं करता। उन्होंने समयबद्धता को लेकर सिडनी की ट्रेन का उदाहरण दिया। मिसाइल मैन एवम् पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का उल्लेख करते हुए कहा, सफलता प्राप्ति के लिए हमें हमेशा अपने कार्य से प्रेम करना चाहिए। मुनिश्री ने अपने जीवन के विद्यार्थी काल के कुछ रोचक संस्मरण भी साझा किए। इंग्लिश में अपनी बात रखते हुए निर्यापक मुनि श्री 108 नवपदम सागर जी महाराज बोले, सफलता साहसी और उद्यमी व्यक्तियों को ही प्राप्त होती है। उन्होंने कहा, पंचबालयती वासुपूज्य, मल्लिनाथ, नेमिनाथ, पार्श्वनाथ, महावीर तीर्थंकर प्रभु के क्रम का योग सौ आता है। यह डिसिप्लिन, एटीटयूट और तीर्थंकर इन तीनों का योग भी सौ है। मंगल प्रवेश के समय जैन समाज मुरादाबाद के अध्यक्ष श्री अनिल जैन, टीएमयू के वीसी प्रो. वीके जैन, ब्रहमचारिणी कल्पना दीदी, प्रो. विपिन जैन, डॉ. रवि जैन, डॉ. विनोद जैन, डॉ. अर्चना जैन, डॉ. नीलिमा जैन, श्रीमती अहिंसा जैन, डॉ. वैभव जैन आदि ने भक्ति का आनंद लिया।



