“कौन कहता है आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबियत ये उछालो यारों”

नवोदय विद्यालय में कला शिक्षा का विस्तार-पीजीटी पद सृजन की संभावना जगी: कला शिक्षक मूर्तिकार राजेश कुमार

अब नवोदय विद्यालयों में भी कला शिक्षकों का हो सकेगा प्रोन्नति और कला शिक्षा के विस्तार से छात्रों को कैरियर बनाने संभावना बढ़ेगी

अररिया /डा. रूद्र किंकर वर्मा।

जवाहर नवोदय विद्यालय अररिया के कला शिक्षक मूर्तिकार राजेश कुमार ने अपने सुझात्मक मांग आयुक्त ,नवोदय विद्यालय समिति, नोएडा एवं शिक्षा मंत्री श्री धर्मेन्द्र प्रधान के समझ सकारात्मक तरीके से रखी थी,जिसे गंभीरता से लिया गया और इस ओर संभावना बनी है।
“कौन कहता है आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबियत ये उछालो यारों”यह दुष्यंत कुमार की बहुत ही प्रेरणादायी कविता की पंक्ति है। इसका सीधा सा यही मतलब है कि कोई भी कार्य कठिन नहीं होता बस जरूरत है सही मन और पक्के इरादे से उस कार्य को पूरा करने की कोशिश करना। इस दुनिया में ऐसा कोई असम्भव कार्य नहीं है। यदि पक्के इरादे और सार्थक प्रयास से जब सफलता मिलती है तो जीवन में एक उजास भरने लगता है और अंधकार विलिन हो जाता है और खुशी की लालिमा आशा की किरण जाग उठती है। ऐसी ही खुशी की लालिमा से आशा की ज्योति जगाने में सफलता हासिल हुई है जवाहर नवोदय विद्यालय अररिया के कला शिक्षक मूर्तिकार राजेश कुमार को। इन्होंने अपने पक्के इरादे और सार्थक प्रयास से जवाहर नवोदय विद्यालय में सभी कला शिक्षकों के लिए पीजीटी पद सृजन का नया रास्ता खोल दिया है।
जवाहर नवोदय विद्यालय की स्थापना 1986 में हुई तब से सभी मुख्य विषय के अध्यापकों के लिए पद विस्तार व प्रोन्नति का प्रावधान था किन्तु कला, संगीत व फिजिकल एजुकेशन शिक्षकों के लिए यहां केवल टीजीटी पद का ही सृजन होता था। किन्तु अब राजेश कुमार के प्रयास से इसमें बदलाव किए जाने एवं कला में पीजीटी का पद विस्तार की संभावना जागी।

कला शिक्षक राजेश कुमार ने अपनी जायज मांग को चार पृष्ठीय सजेस्टिव ग्रीवांस पत्र के माध्यम से आयुक्त नवोदय विद्यालय समिति, नोयडा को एवं धर्मेद्र प्रधान ,शिक्षा मंत्री, भारत सरकार को दो बार भेजा था। जिसमें नई शिक्षा नीति-2020 का हवाला देते हुए कला शिक्षा को मुख्यधारा में लाने के महत्व पर बल देते हुए मेन स्ट्रीम के विषयों के साथ समवेत एवं उत्पादकतापूर्ण व प्रायोगिक रूप से जोड़ कर ज्ञान व कौशल का परिमार्जन व जीवनोपयोगी बनाने की दिशा से जोड़ने की बात कही। कक्षा छठवीं से बारहवीं तक बच्चों को कला शिक्षा से रूचि के अनुसार अथवा आवश्यक रूप से जोड़ने से उन्हें कला महाविद्यालयों में कला शिक्षा लेने व कियटिव क्षेत्र मे रोजगार से जुड़ने का अवसर मिलेगा। नवोदय विद्यालय का मुख्य उद्देश्य बच्चों का सर्वांगिण विकास करना है, बहुत से ग्रामीण प्रतिभा में कला कौशल के विकास से रचनात्मकता व सृजनात्मक उर्जा का विकास होता है अतएव बारहवीं में कला को अपनी अभिरूचि एवं रचनात्मक प्रतिभा से एक विषय के रूप में लेने से उनकी शिक्षा में सहजता एवं तनावमुक्त हो सकती है। पत्र में इस ओर भी विशेष तौर से ध्यानाकर्षित किया गया था कि कला के क्षेत्र में कैरियर की कितनी संभावनाएं है और लगभग 50 कैरियर आप्शन का उल्लेख किया गया।
अपनी संवेदनात्मक व शिक्षा में गुणात्मक बदलाव के लिए कला शिक्षा का सार्थक एवं रचनात्मक उर्जा को समाज के समवेत बनाने एवं कला विस्तार देकर कला शिक्षा को योग्यता एवं दक्षता के अनुसार पीजीटी पद के सृजन की सकारात्मक मांग की।

जिसके आलोक में सहायक आयुक्त कृष्णा गौड़ नवोदय विद्यालय समिति नोयडा का संतोषजनक प्रत्र प्राप्त हुआ जिसमें इसकी पुष्टि की गई कि नेशनल करिकूलम फ्रेमवर्क 2023 में अन्य विषयों की भांति कला को मेन स्ट्रीम में लाया जाएगा और कला में पीजीटी पद का सृजन संभावी होगा।

अपने जायज सजेस्टीव ग्रीवांस का सकारात्मक पत्रोत्तर पाकर खुशी जाहिर करते हुए राजेश कुमार कहते है इसका लाभ देशभर के नवोदय विद्यालयों में कार्यरत सभी योग्य कला शिक्षकों के साथ साथ कियटिव ग्रामीण प्रतिभा को भी मिलेगा और पीजीटी पद सृजन से कला शिक्षकों के लिए और भी संभावनाओं के नये रास्ते खुलेंगें। इस पत्र को साझा करते ही अन्य विद्यालयों कला शिक्षकों ने राजेश कुमार की सजगता व सार्थक प्रयास की सराहना करते हुए बधाई दी है और विद्यालय के प्राचार्य सुशांत कुमार झा व उप प्राचार्य राजकुमार मिश्रा ने भी प्रशंसा व सराहना की।