चयन मुक्त की कार्रवाई को बुद्धजीवियों ने औरंगाबाद जिले में रिश्वत का अनुठे खेल बताया है ।



तत्कालीन ग्रामीण आवास सहायक को चयन मुक्त की कार्रवाई पर प्रतिक्रिया, जैसी मुँह वैसी बात।

भ्रष्टाचारियों के हाँथों का कठपुतली हैं औरंगाबाद जिले के प्रशासानिक अधिकारी , सोशल एक्टिविस्ट।
अजय पाण्डेय /अनिल कुमार मिश्र का संयुक्त रिपोर्ट

औरंगाबाद ( बिहार) 07 जुलाई 2022 :- औरंगाबाद जिले के विभिन्न विभागों में रिश्वतखोरी का आई बाढ़ में से एक का कमी यानी एक के विरूद्ध चयन मुक्त की कार्रवाई को बुद्धजीवियों ने रिश्वत का अनुठे खेल बताया है और जिला प्रशासन पर कई गंभीर आरोप लगाते हुए बुद्धजीवियों नें जन संदेश में कहा है जिले के प्रशासानिक अधिकारी भ्रष्टाचारियों के हाँथों का कठपुतली बन चुके है और बड़े से बड़े घोटाले बाज कर्मचारियों के सामने इनके कद बहुत छोटा हो चुके हैं जिसका ज्वलंत उदाहरण जिले के कृषी फार्म कझपा में प्रक्षेत्र प्रभारी सह कृषि समन्वयक कुटुंबा प्रखंड द्वारा अनुमानित 34 लाख रूपये मूल्य के बिहार- सरकार का 7 माह पहले धान के बीज की चोरी है। उक्त मामले में अनेको पत्राचार के बाद भी आज तक कार्रवाई का नहीं होना है। जिलें में रिश्वतखोरी का अनुठा खेल हैं। जिले के कृषी फारम कझपा के प्रक्षेत्र प्रभारी सह कृषि समन्वयक कुटुंबा प्रखंड के विरूद्ध कराये गयें जाँच में भी कृषी अनुदान की राशि का आवंटन में हेराफेरी /आपसी बंदर -बाँट तथा पदीय शक्ति का दुरूपयोग का मामला उज्जागर है फिर भी कृषि विभाग के बात ही छोड़े जिला प्रशासन के संरक्षण में निर्वाधगति से बिहार सरकार के जमीन में उत्पादित बीजो एवं बीज उत्पादन के नाम पर निर्वाधगति से खाद, बीज एवं सरकारी राशि का गबन और घोटाले का खेल जारी है , कार्रवाई की बाते तो दूर हैं,जिला प्रशासन का हिम्मत नहीं हैं की एक लूटेरे कृषि समन्वय का गीरवान में झाक लें ।

जन संदेश में बुद्धजीवियों ने कहा है कि जिले में आवंटित प्रधानमंत्री आवास योजना का ईमानदारी पुर्वक जाँच कराई जाये तो अपवाद को छोड़कर सभी ग्रामीण आवास सहायक चयन मुकत होगें, सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में पदीय शक्ति का दुरूपयोग के आरोप की जाँच कराई जाये तो एक भी मनरेगा के कर्मचारी व पदाधिकारी नहीं बच पायेगें, ठीक उसी तरह कृषि विभाग में योजनाओं का क्रियान्वयन की निष्पक्ष जाँच कराई जाये तो अपवाद को छोड़कर सभी चयन मुक्त होगे।

प्रशासानिक सूत्रों के दावे के अनुसार बिहार राज्य के औरंगाबाद जिले के ओबरा प्रखंड़ का रतनपुरा पंचायत के ग्रामीण आवास सहायक प्रिंस कुमार सिंह द्वारा 6 परिवारों को पक्के मकान एवं पूर्व में लाभ प्राप्त लाभुकों को लाभ दिया गया है, जिसकी जांच ओबरा के प्रखंड विकास पदाधिकारी से करायी गई। जांच में आरोप सत्य पाया गया। इसके बाद ग्रामीण आवास सहायक को पक्के मकान वाले परिवार को प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ देने के आरोप में चयनमुक्त कर दिया गया है । साथ ही ओबरा के गामीण आवास पर्यवेक्षक को खराब अनुश्रवण के कारण एक वर्ष तक 25 प्रतिशत मानदेय की कटौती की गयी है। जबकि ओबरा के बीडीओ को कड़ी चेतावनी दी गई है। बीडीओ को सभी 6 अयोग्य परिवारों से राशि वसूली करते हुए राज्य के खाते जमा कराने का निर्देश दिया गया है।