जीबीएम कॉलेज में गृहविज्ञान विभाग द्वारा 1 से 7 अगस्त, 2022 तक चलाए जा रहे ‘विश्व स्तनपान सप्ताह’ का समापन*

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*-माताओं के भोजन को पोषणयुक्त बनाने की है परम आवश्यकता: प्रो. उषा राय*

संवाददाता गजेन्द्र कुमार जिला गया बिहार

गया के गौतम बुद्ध महिला महाविद्यालय में गृहविज्ञान विभाग द्वारा 1 से 7 अगस्त, 2022 तक चलाये जा रहे ‘विश्व स्तनपान सप्ताह’ का समापन समारोह प्रभारी प्रधानाचार्या प्रो. उषा राय की अध्यक्षता में सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम का संचालन करते हुए गृहविज्ञान विभाग की सहायक प्राध्यापिका डॉ. प्रियंका कुमारी ने पॉवर प्वाइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से “स्तनपान के लिए कदमः शिक्षा और सहयोग” विषय पर प्रकाश डाला। डॉ. प्रियंका ने कुपोषण से बचने हेतु थाली में तिरंगे भोजन की जरूरत तथा ‘मदर्स मिल्क बैंक’ से संबंधित विषयों पर जानकारियां साझा कीं। तत्पश्चात जीवविज्ञान विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. फरहीन वजीरी ने आँकड़ों को साझा करते हुए कहा कि तीन में से दो बच्चों को अब भी दूध नहीं मिल पा रहा, जो अति चिंताजनक बात है। उन्होंने माँ के शरीर में दुग्ध-निर्माण की वैज्ञानिक प्रक्रिया को सविस्तार समझाया। डॉ. वजीरी की बात को आगे बढ़ाते हुए कॉलेज की जन संपर्क अधिकारी-सह-अंग्रेजी विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. कुमारी रश्मि प्रियदर्शनी ने कहा कि स्तनपान की आवश्यकता पर देश भर में चलाये जा रहे इतने कार्यक्रमों के बाद अब भी जो माताएँ बच्चों को आधुनिकता, अज्ञानता, कमजोरी, व्यस्तता आदि जिन भी कारणों से दूध नहीं पिला पा रहीं, उन सभी कारणों का निवारण करने की आवश्यकता है, और यह शिक्षा और सहयोग द्वारा ही संभव है। माँ का दूध हर नवजात शिशु का जन्मसिद्ध अधिकार है। उसे इस अधिकार से वंचित बिल्कुल भी नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने राष्ट्रकवि दिनकर की प्रसिद्ध कृति ‘रश्मिरथी’ में आये ‘कर्ण-कुंती संवाद’ के दरम्यान महारथी कर्ण द्वारा माता राधा की प्रशंसा में माता कुंती के लिए उक्त कटाक्ष भरी पंक्तियों, “पर, राधा ने जिस दिन मुझको पाया था। कहते हैं उसको दूध उतर आया था..”, के माध्यम से मातृत्व की सच्ची, पवित्र एवं वात्सल्यमय भावना और माँ के शरीर में दुग्ध निर्माण की प्रक्रिया के मध्य स्थापित गहरे संबंधों की प्रकृति को समझाने की कोशिश की।

संगीत विभागाध्यक्ष डॉ. नूतन कुमारी ने माँ के दूध को अमृत बताते हुए नवजातों के लिए स्तनपान को आवश्यक बताया। वहीं प्रभारी प्रधानाचार्या-सह-अंग्रेजी विभागाध्यक्ष प्रो. उषा राय ने दूध पिलाने वाली माताओं के स्वास्थ्य पर अपने विचार रखते हुए उनके भोजन में प्रोटीन, कैल्शियम तथा आयरन आदि पोषक तत्वों के अनिवार्य रूप से होने की बात कही। उन्होंने कहा कि भारतीय माताओं में एनीमिया की समस्या पायी जाती है, जिसे दूर करने के लिए प्रभावी कदम उठाये जाने की जरूरत है। मनोविज्ञान विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर प्रीति शेखर ने दुग्धपान कराने के मनोवैज्ञानिक लाभों को समझाया।कार्यक्रम के अंत में नैक समन्वयक डॉ. शगुफ्ता अंसारी ने ‘सस्टनेबल डेवलपमेंट गोल्स’ पर अपने विचार रखने के उपरांत धन्यवाद ज्ञापन किया। छात्राओं में से वैष्णवी रंजन, दीक्षा कुमारी, कुमारी जूही, नागमती कुमारी ने भी “माँ का दूध सर्वोत्तम आहार” विषय पर अपनी बात रखी। विचार रखा। इस कार्यक्रम में अर्थशास्त्र विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. नगमा शादाब, दर्शनशास्त्र विभाग की डॉ. जया चौधरी एवं डॉ. पूजा राय, इतिहास विभाग की डॉ. अनामिका कुमारी एवं डॉ. कृति सिंह आनंद, विज्ञान संकाय की डॉ. शिल्पी बनर्जी, डॉ. बनिता कुमारी एवं डॉ. रुखसाना परवीन, अंग्रेजी विभाग की डॉ. पूजा के अलावा मोनिका, तान्या, रिया आदि अनेक छात्राएँ उपस्थित थीं।