झारखंड के क्रांतिदूत शहीद शक्तिनाथ महतो के जयंती मनाई गई

समाज जागरण मनोज कुमारसाह

गोड्डा
: आज दिनांक 02 अगस्त 2024 शुक्रवार को पथरगामा प्रखंड के पीपरा पंचायत होपना टोला गाँव में कोयलांचल का हीरा कहे जाने वाले क्रान्तिदूत वीर शहीद शक्तिनाथ महतो का जयंती मनाया गया। टोटेमिक कुड़मी विकास मोर्चा के जिलाध्यक्ष दिनेश कुमार महतो ने बताया कि 02 अगस्त 1948 को झारखंड के धनबाद के तेतुलगुड़ी गांव में शहीद शक्तिनाथ महतो का जन्म हुआ था। इनके पिता का नाम श्री गणेश महतो तथा माता का नाम सधुवा देवी था। इन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा जोगता प्राथमिक विद्यालय एवं गांधी स्मारक विद्यालय से पूर्ण की। मगर अधिकतर समय खेत-खलिहान में बीतने और गरीबी के कारण इनकी आगे की पढ़ाई बंद हो गई। इसके बाद उन्होंने धनबाद आईटीआई में फीटर ट्रेड में दाखिला लिया और परीक्षा पास कर कुमारधुबी कारखाना में ट्रेनिंग का कोर्स पूरा कर मुनीडीह प्रोजेक्ट में नौकरी कर ली और परिवार की देखरेख में लग गए।
इनका राजनैतिक जीवन 1971 ई0 से शुरू हुआ। उन दिनों गांव में महाजन, सूदखोर और लठैतों का राज था। धनबाद में उनके तगादेदारों के आतंक से उस क्षेत्र के सिर्फ कोयला मजदूर ही नहीं, बल्कि गांव में रहनेवाले खेतिहर किसान और खेत मजदूर भी त्रस्त थे। गरीब जनता बिहार और दबे कुचले लोगों में साहस का संचार किया।
धनबाद से शुरू होकर मुजफ्फरपुर जेल और भागलपुर सेंट्रल जेल में 22 महीने तक कैद में रहे। इसके बाद 1977 ई0 में एमपी चुनाव के बाद जब जनता पार्टी सत्ता में आई, तो सभी मीसाबंदियों के साथ शहीद शक्तिनाथ महतो को भी जेल से छोड़ा गया। जेल से छूटने के बाद ये विधानसभा के चुनाव में टुन्डी क्षेत्र से उम्मीदवार के रूप में लड़े, लेकिन वो हार गए।
इसी बीच इनकी कर्मठता एवं संघर्षशीलता की वजह से ये के. सी. आर. तीलाटांड़ के कामगार यूनियन के भी मंत्री (सचिव) चुन लिए गए। अब तो चारों ओर जिले के हर कोने में शक्तिनाथ महतो का ही नाम गूंजने लगा। इनके क्रियाकलाप से कम्पनी को मनमर्जी ढंग से चलने में मुश्किलें आने लगी। इससे मैनेजमेंट सकपकाया और ट्रेड यूनियन माफिया भी हरकत में आई। नतीजा ये हुआ, कि मैनेजमेंट, यूनियन, गुंडा और प्रशासन सबकी मिली भगत से 28 नवंबर 1977 को झारखंड के इतिहास का वो काला अध्याय लिखा गया, जो युगों युगों तक अमर रहेगा। उस दिन सिर्फ शक्तिनाथ महतो की ही हत्या नहीं हुई, बल्कि गरीबों, शोषितों, पीड़ितों के एक सच्चे रहनुमा का भी कत्ल हुआ, हैवानियत के हाथों इंसानियत का अंत हुआ।
धनबाद का बच्चा बच्चा जानता है, कि शक्तिनाथ महतो की हत्या में किस-किस का हाथ था, लेकिन सबूत के अभाव में प्रशासन केवल धर-पकड़ का नाटक मात्र ही करता रहा और असली हत्यारे कूटनीति, बाहुबल और धनबल के सहारे कभी पकड़े नहीं गए। वो आज भी कहीं गरीबों का खून चूस रहे होंगे और मजे से अपनी जिंदगी गुजार रहे होंगे। शक्तिनाथ महतो ने कहा था – “यह लड़ाई लम्बी होगी और कठिन भी। इसमें पहली पीढ़ी के लोग मारे जाएंगे, दूसरी पीढ़ी के लोग जेल जाएंगे और तीसरी पीढ़ी के लोग राज करेंगे, जीत अन्ततोगत्वा हमारी ही होगी। मोके पर उपस्थित कुड़मी विकास मोर्चा के सदस्य रामेश्वर महतो, दिव्यांश कुमार महतो, कलावती महतो, अनिता महतो, चूड़ामणि महतो, सोनी महतो, प्रिया महतो, दीप्ति श्री महतो आदि लोग उपस्थित थे।