पान की दुकान की तरह दूसरे दुकानों मे भी हो ताला लगाने की व्यवस्था

स्मार्ट सिटी नोएडा मे रेहड़ी पटरी की समस्या हमेशा से विवादों मे रहे है। इस विवाद का जहां एक तरफ रेहड़ी पटरी के दलाल उठा रहे है वही दूसरी तरह नोएडा प्राधिकरण के सर्कल ऑफिसर ओर दूसरे लोग भी उठा रहे है। यही कारण है की बार बार अखबार मे छपने के बाद भी शहर की हालत जस-की-तस बनी हुई है ।

स्मार्ट सिटी नोएडा के सड़क पर आपको हर 100 मीटर मे आपको पान बीड़ी गुटखा के दुकान मिल जाएंगे । पान की दुकान मे पान तो सिर्फ नाम की है या पान मिलते ही नहीं है । यहाँ पर cigrate , बीड़ी और गुटखा बेचने की अवैध दुकान है । हालांकि सरकार ने नगर निगम और प्राधिकरण का निर्देशित किया हुआ है की बिना लाइसेन्स के बेचना अवैध मानते हुए इन पर कार्यवाही की जाय । नगर निगम से इनके लिए लाइसेन्स जारी करने की प्रशासनिक आदेश जारी किया था । लेकिन बात वही ढाक के तीन पात । आज तक नोएडा मे सिर्फ 700 लोगों को लाइसेन्स दिए गए है, जबकि हजारों की संख्या मे पान बीड़ी गुटखा की दुकान सड़क किनारे लगे है । इसके अलावा गली मोहल्ले मे धरले से सिगरेट बीड़ी और गुटखा बेचे जा रहे है ।

हाल ही मे देश के सबसे बड़े न्यायालय ने कहा है की फेरी वालों का रात के समय मे उसी जगह पर समान रखने पर जोड़ नाही देना चाहिए । उसे इस बात की कोई अधिकार नाही है की उसे रात मे अपना समान वही रखने की अनुमति मिले जहा वह फेरि लगाता हो।

न्यायमूर्ति एम आर शाह और न्यायमूर्ति बीवी नगरत्ना की पीठ ने स्पष्ट किया की फेरि वालों को सिर्फ फेरि नीति के अनुसार ही बाजारों मे समान बेचने की इजाजत दी जा सकती है ।

संभवतः यह हो सकता है यह नियम नोएडा प्राधिकरण पर लागू न होता हो । लेकिन फेरि अधिनियम २०१४ के अनुसार भी किसी भी वेन्डोर को स्थायी स्ट्रक्चर बनाने की अनुमति नाही है , और नही तो रात के समय मे अपना समान उस स्थान पर छोड़ सकते है जहां वह दुकान लगाते है। दुकान लागने के लिए भी उनको ६ बजे सुबह से रात की १० तक की समय निर्धारित है ।

इसके बाद नोएडा जैसी स्मार्ट सिटी मे रात के समय मे किस आधार पर पान बीड़ी गुटखा की दुकानो को सड़कों पर छोड़े जाते है ? जबकि सब्जी वाले फल वाले या दूसरे खाने पीने की दुकान लगाने वालों को हटवा दिए जाते है। पान की दुकान पर लगे आई टी सी के विज्ञापन के लिए क्या अनुमति ली जाती है ? इन दुकानों मे पान बीड़ी गुटखा के अलावा और भी पी पदार्थ बेचे जा रहे है , जिसके लिए कई जगह तो बर्फ के इस्तेमाल किए जाते जबकि कई जगह बिजली के कनेक्शन भी दिए गए है फ्रीज़र चलाने के लिए । क्या यह सब रात के अंधेरे मे हो रहे है या भी मिलीभगत से ?

अगर यह सब सही है तो फिर दुसरे प्रकार के दुकान लगाने वालों को भी यह व्यवस्था दी जानी चाहिए की वह अपना ठेली पटरी वही छोड़ कर जा सके ।