सेवानिवृत अफसरों एवं कर्मचारियों ने किया काण्ड
सैकड़ो एकड़ में बेख़ौफ़ अवैध निर्माण
वनपरिक्षेत्र खुटवा बीट के कक्ष क्रमांक 400 तत्कालीन जाम सिंह भार्गव डीएफओ अनूपपुर ने वनभूमि पर जारी रेत, मुरुम के उत्खनन भंडारण मामले में भारतीय वन अधिनियम, 1927 की धारा 52 / 26 छ- 41 के तहत मामला दर्ज किया है, 06 हाइवा एक पोकलैन जब्त कर कभी एतिहासिक ताबड़तोड़ कार्यवाही की, वहाँ आज देवरी सहित केलौहारी में शासकीय, वनभूमि, व्यवस्थापन भूमि में हुए भारी भ्रष्टाचार का पर्दाफाश हुआ है l इस मामले में ताजुब की बात है स्थानीय प्रशासन दर्जनों हुई शिकायतों के बावजूद जिम्मेदार अफसरों ने चुप्पी बांध रखी है, यह कही मौन स्वीकृति तो नहीं बड़ा सवाल है…..
शहडोल l संभागीय मुख्यालय में ऊर्जा नगरी चचाई से शहडोल संभागायुक्त के चौखट पर केलौहारी ग्राम से जनपद सदस्य सहित नगर की जनता ने जंगल भूमि बचाने के दिशा में गुहार लगाई जिसका तात्पर्य निजी नहीं होकर जंगल भूमि बचे इस उम्मीद से लोगो ने संभाग की मातृशक्ति, सर्वशक्ति स्वरूपा कमिश्नर सुरभि गुप्ता के पास पहुंचे l यहा पर आये दो सैकड़ा जनता जनार्दन ने कमिश्नर मैडम को नियम विरुद्ध बेख़ौफ़ हो रहे फारेस्ट प्रॉपर्टी में जारी निर्माण कार्यो के सम्बन्ध में बतलाया है, जिसको तत्काल रोके जाने की बात कही l लेकिन यह आदेश वर्तमान दिनांक धरातल में पूरी तरह उतर नहीं पाया l राजस्व अभिलेखो में दर्ज जंगल भूमि में पटवारी आर आई ने मिलकर एक बड़ा खेला कर लिया l पंजीरी की तर्ज में शासकीय, मध्यप्रदेश शासन एवं जंगल भूमि राजस्व अभिलेखों में काट, छाट करते हुए जिम्मेदारों की आँखों के नीचे से मानो काजल चुरा लिया गया है, जिससे प्रदेश सरकार खनिज एवं राजस्व एवं केंद्र सरकार के खनिज एवं राजस्व की खुली आँखों में धूल झोंककर करोडो रूपए का चूना लगा दिया है l
धंधेबाज़ी की पराकाष्ठा….
दरअसल संभाग मुख्यालय में आए शिकायतकर्ताओ ने बतलाया की वन विभाग के वनपाल एवं रेंजर ने अवैध निर्माण को लेकर लगातार होती रही शिकायत पर कार्यवाही की जगह छूट प्रदान की जिसकी परिणीति आज पूरी वनविभाग दर्ज भूमि को खुर्द बुर्द करा दिया है l राजस्व अभिलेखों को गहन मंथन करने के बाद जो निकल के आया उससे यह तो तय हो चुका है करोडो अरबो की भूमि को कब्ज़ा करने में जो भी शामिल है उनमे प्रशासनिक एवं राजनैतिक संरक्षण प्राप्त है वरना आज शासकीय एवं वनभूमि पर काबिज लोगो की प्रमाणित शिकायतों के बाद अवैध निर्माण कर रहे चंद दबंग को सरकार मिटटी में मिलाना जानती है, लेकिन आज दिनांक समाचार लिखे जाने तक उस स्थान पर बेख़ौफ़ निर्माण कार्य जारी रहे हुए है l ज्यादातर अवैध निर्माण केलौहारी देवरी ग्राम अंतर्गत हो रहे है यहाँ पटवारी आरआई ने राजस्व अभिलेखों में गोलमाल किया है, जो अहस्तांतरणीय शासकीय भूमि और वनभूमि दर्ज थी, उनके रातो रात पट्टे बनने की खबर है इनमे खतौनी क्रमांक 118 के लगभग 35 खसरा नंबर की जानकारी है 12 अप्रैल 2009 को प्राप्त प्रमाणित दस्तावेजों के मुताबिक 885 .20 हेक्टेयर भूमि पर भूमाफिया की तर्ज पर एमपीईबी कर्मियों सहित बड़े अफसरों ने अपनी कोठी बनवाई है जबकि 1958 – 1959 से 1985 -1994 तक के खंगाले रिकॉर्ड बताते है वर्तमान दिनांक में दिखाई दे रहे राजस्व अभिलेखों में जमकर धंधेबाज़ी और धांधली हुई है l यह भूमि मध्यप्रदेश शासन की है जिनमे स्पष्ट खसरा में दर्ज जंगल भूमि का उल्लेख है l
अब निकलेगा बोतल से जिन…
गौरतलब हो कि देवरी केलौहारी ग्राम तनी इमारते खसरा नंबर 392 की शत – प्रतिशत अतिक्रमण के चपेट में है, इनमे नामी गिरामी अफसरों, मंडल कर्मियों एवं ए ग्रेड ठेकेदार भी है उन्होंने वो काम किया है जो अमूमन भूमाफिया जमीन के दलाल काम करते है, इस अतिक्रमण में ग्राम पंचायत ने संजीवनी प्रदान करते हुई वनभूमि पर बाकायदा चार फिट कंक्रीट की सड़क काट कर बनी बहुमंजिला इमारतों को वरदान भी दे दिया इस मामले में भी यह भी एक बड़ा जाँच का विषय है l इस इलाके में धड़ल्ले से कांक्रीट पिलर के सहारे चल रहा वर्तमान समय का निर्माण वन विभाग की बीते कुछ वर्ष पूर्व की कार्यवाही को मुँह चिढ़ाता हुआ नजर आ रहा है, यहाँ तत्कालीन डीएफओ अनूपपुर जाम सिंह भार्गव के दिशा निर्देश में गठित टीम की छापा मार वनपरिक्षेत्र खुटवा बीट के कक्ष क्रमांक 400 वनभूमि पर जारी रेत, मुरुम के उत्खनन भंडारण मामले में भारतीय वन अधिनियम, 1927 की धारा 52 / 26 छ- 41 के तहत मामला दर्ज किया है, 06 हाइवा एक पोकलैन जब्त कर ताबड़तोड़ कार्यवाही की जो इतिहास के पन्नो दर्ज है इस कार्यवाही में हाइवा क्रमांक एमपी 65 एच 0171, एमपी 65 एच 0213, एमपी 65 एच 0259, एमपी 65 एच 0270, एमपी 65 एच 0271, एक सोल्ड हाइवा एवं एक चैन माउंटिंग पोकलैन मशीन को जप्त किया इस कार्यवाही में एसडीओ श्रीकांत वर्मा वनपरिक्षेत्राधिकारी ए के निगम, रविशंकर त्रिपाठी, एमके सिंह बीटगार्ड, सुरेश प्रजापति, बाल सिंह परस्ते, राजबली साकेत बलभद्र सिंह रहे l आज भले कूटरचित दस्तावेजों में ईमानदारी झलक रही हो लेकिन परदे के पीछे बड़े स्तर पर किया गया भूमि घोटाला है, इसकी जांच होना अनिवार्य ताकि बोतल में बंद जिन सबके सामने आ कर बतलाये l आखिर कैसे अहस्तांतरणीय भूमि का नियम विरुद्ध विलोपन किया गया l

मामले में सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक सबसे ज्यादा स्थानीय टुटपुँजिये नेता, रिटायर्ड एमपीईबी कर्मी सहित ईई भी अपने सपनो का आशियाना इसी विवादित जंगल एवं शासकीय भूमि पर तान रखे दिए है l अब भला कार्यवाही का माद्दा किस विभागीय अफसर का होगा l लेकिन संविधान का पालन करना और कराना भी बेहद जरुरी होता है l अरे साहब हर बार कार्यवाही में गरीब और असहाय पर हुकूमत ताकत आजमाती है जरा इनका अवैध निर्माण उनके दस्तावेजों की जांच कर नब्ज टटोले आपको बड़े घोटाले की पुष्टि होगी l
प्रशासनिक प्रतिक्रिया…
अभी मामले में मुझे जानकारी नहीं अधीनस्त अधिकारियो से जानकारी लेकर बतलाता हूँ l अब दस्तावेज दिखलाये, यदि ऐसा है तो सवाल ही नहीं उठता कार्यवाही होगी l
अजय कुमार पाण्डेय
मुख्य वन संरक्षक, संभाग शहडोल
