पूर्णिया ।
रविवार 12 जनवरी को स्वामी विवेकानंद जी की जयंती के अवसर पर सहयोग प्रांगण, आकाशवाणी रोड, पूर्णिया और सुखासन स्किल, रुचि स्किल सेवा स्किल कौशल विकास केंद्र में राष्ट्रीय युवा दिवस धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर मुख्य कार्यक्रम का आयोजन आकाशवाणी रोड स्थित प्रधान कार्यालय में किया गया, जहां सहयोग अध्यक्ष डॉ. अजीत प्रसाद सिंह ने स्वामी विवेकानंद जी के तेल चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें नमन किया।
कौशल विकास केंद्र के वाई पी बारह के सदस्य रोशन एवं देवेंद्र और सुखासन स्किल के शिवकुमार एवं राहुल कुमार ने भी स्वामी विवेकानंद जी के चित्र पर पुष्प अर्पित किए और उनके योगदान को याद किया। इस अवसर पर छात्र-छात्राओं के बीच “कुशल एवं समृद्धि युवा” विषय पर निबंध और भाषण प्रतियोगिता का आयोजन किया गया, जिसमें विद्यार्थियों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया।
मुख्य वक्तव्य में डॉ. अजीत का प्रेरणादायक संबोधन
अपने संबोधन में डॉ. अजीत प्रसाद सिंह ने स्वामी विवेकानंद के जीवन और योगदान पर प्रकाश डालते हुए कहा, “स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 को हुआ था। वह भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता के महान प्रवक्ता थे, जिन्होंने दुनिया भर में भारत का सम्मान बढ़ाया। स्वामी जी ने शिकागो धर्मसभा में जो ऐतिहासिक भाषण दिया, वह आज भी हमारे दिलों में जीवित है। उन्होंने पूरे विश्व को भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म की महिमा से परिचित कराया।”
उन्होंने आगे कहा, “स्वामी विवेकानंद ने अपने जीवन में हमेशा युवाओं को प्रेरित किया और उन्हें देश और समाज की सेवा के लिए संकल्पित किया। उनका प्रसिद्ध उद्धरण ‘उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक मंजिल प्राप्त न हो जाए’ युवाओं के लिए एक अमूल्य धरोहर है।”
स्वामी विवेकानंद के विचारों से युवाओं को प्रेरणा
डॉ. सिंह ने स्वामी विवेकानंद के दर्शन और उनके विचारों का उल्लेख करते हुए कहा कि स्वामी जी ने हमेशा युवाओं से समाज में बदलाव लाने की अपील की। उन्होंने युवाओं को अपने देश की सेवा करने के लिए प्रेरित किया और कहा कि भारतीय संस्कृति में ही भविष्य की दिशा है। उनका विश्वास था कि शिक्षा ही समाज में वास्तविक परिवर्तन लाने का सबसे प्रभावी साधन है।
स्वामी विवेकानंद के विचारों ने भारतीय समाज में एक नई चेतना पैदा की और उन्होंने यह सिद्ध कर दिया कि जब तक युवा सशक्त नहीं होंगे, तब तक देश सशक्त नहीं हो सकता। उन्होंने कहा था, “युवाओं में लोहे जैसी मांसपेशियां और फौलादी नसें हैं, जिनका हृदय वज्र तुल्य संकल्पित है।”
कार्यक्रम में विभिन्न विचार प्रस्तुत किए गए
कार्यक्रम में संस्थान के सहायक राजा कुमार सिंह, पार्वती कुमारी, सतीश, संजीवनी, प्रीतम, आस्था, रंजीत कुमार, रमन, रामविलास कुमार, अंकित, सक्षम, रूपेश कुमार गांधी, डॉ. संजय कुमार, डॉ. के.के. चौधरी, डॉ. राजेश गोस्वामी और मनी गिरी गोस्वामी ने भी अपने विचार प्रस्तुत किए। सभी वक्ताओं ने स्वामी विवेकानंद के जीवन और शिक्षाओं से प्रेरणा लेकर अपने जीवन में कार्य करने की शपथ ली।