समाज जागरण सवादाता दीपक कुमार छत्तरपुर
छतरपुर(पलामू): पलामू के सिविल सर्जन अनिल कुमार सिंह अबतक के सबसे भ्रष्ट सिविल सर्जन हैं।इन्होंने पलामू के पूरे स्वास्थ्य व्यवस्था को बर्बाद कर दिया है।आमजन त्राहिमाम कर रहा है।उक्त बातें झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय समिति सदस्य चंदन प्रकाश सिन्हा ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा।जारी किए गए प्रेस विज्ञप्ति में चन्दन प्रकाश सिन्हा ने कहा कि पलामू के सिविल सर्जन अनिल कुमार सिंह ने पूरे पलामू के स्वास्थ्य विभाग को बर्बाद कर दिया है। आमजन स्वास्थ्य सेवा के लिए त्राहिमाम कर रहे हैं और प्राइवेट अस्पतालों पर निर्भर हैं। पीएचसी एवं सीएचसी में जिन डॉक्टर की नियुक्ति की गई है वे वहां सेवा नहीं देकर प्राइवेट क्लीनिक चलाने में मशगूल है। एक सुनियोजित तरीके से पैसा लेकर और सेटिंग के तहत अच्छे डॉक्टर को पीएससी एवं सीएचसी से हटाकर जिला अस्पताल में डेपुटेशन कर दिया गया है ताकि वे डाल्टनगंज में अपना क्लीनिक चला सके और अधिकतर डाक्टर यही कर रहे हैं।जिसके कारण स्थानीय स्वास्थ्य केदो में डायरिया तक का इलाज नहीं हो पा रहा है और अनगिनत लोगों की जान जा रही है। इन सारे मौतों के लिए पलामू सिविल सर्जन जिम्मेवार है।अच्छे डॉक्टर के नियुक्त अस्पताल में की जाती तो यह स्थिति नहीं आती।पूरे पलामू के स्वास्थ्य विभाग पर सिविल सर्जन का कोई नियंत्रण नहीं है।पूरा का पूरा स्वास्थ्य विभाग (झोलाछाप) ग्रामीण डॉक्टर पर निर्भर है।दुर्भाग्य की बात है कि सरकारी अस्पतालों में बंध्याकरण का ऑपरेशन तक झोलाछाप डॉक्टर से करवाया जाता है।पूरे पलामू में कहीं भी सरकारी दिशा निर्देश के अनुसार एएनसी और पीएनसी नहीं किया जाता है।भीएचएसएनडी के दिन एएनएम मात्र एक से दो घंटे संबंधित आंगनबाड़ी केंद्र जाती है और महज खाना पूर्ति करके लौट जाती है।भीएचएसएनडी लिए आवश्यक उपकरण किसी भी नर्स के पास उपलब्ध नहीं रहता है।सिर्फ आयरन और कैल्शियम की गोली देना ही काफी नहीं है।क्षेत्र में 80% से अधिक गर्भवती महिलाओं के पास एमसीपी कार्ड नहीं है।यदि कुछ महिलाओं को एमसीपी कार्ड दी भी जाती है तो उसे नियमित तरीके से नहीं भरा जाता है। कमीशन के चक्कर में नजदीकी एक्सपायरी डेट की दवाई क्रय की जाती है। दवा खरीदने एवं आयुष्मान आरोग्य मंदिर के कायाकल्प के साथ ही उपकरण खरीदने में गुणवत्ता को ध्यान में नहीं रखा गया है और करोड़ों रुपए की दुरुपयोग की गई है। सीएचसी स्तर पर विभिन्न प्रकार के जांच के लिए मेडौल से एमओयू किया गया है।मेडौल के द्वारा खून का सैंपल तो लिया जाता है लेकिन रिपोर्ट नहीं दिया जाता है।जिससे संबंधित कार्रवाई के बदले सिविल सर्जन के द्वारा उसे अनवरत भुगतान किया जा रहा है।पलामू में चलने वाले कुछ प्राइवेट अस्पतालों एवं जांच घरों को छोड़कर अधिकतर अस्पताल एवं जांच घर सरकार के दिशा निर्देशों का पालन नहीं करते फिर भी सिविल सर्जन के सांठगांठ से लगातार संचालित हो रहे हैं और आम जनों के जीवन एवं पैसों से खेल रहे हैं। समय-समय पर इन सभी अस्पतालों एवं जांचघरों का जांच किया जाना और बिना कोई कार्रवाई के छोड़ दिया जाना स्पष्ट बतलाता है कि बड़े स्तर पर गड़बड़ी की जा रही है।इन सभी बातों से झारखंड के मुख्यमंत्री एवं स्वास्थ्य मंत्री को अवगत कराते हुए उच्च स्तरीय टीम बनाकर जांच एवं कार्रवाई करने की मांग की जाएगी।