साक्षात देवी स्वरूपा थीं हम सब की दादी प्रकाशमणि जी – ब्रम्हाकुमारी शशिप्रभा

मस्तूरी ब्रह्माकुमारीज पाठशाला में संस्थान की भूतपूर्व मुख्य प्रशासिका दादी प्रकाशमणि जी की 15वीं पुण्यतिथि पर.. साधकों ने दादी जी के गुणों को याद कर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किया l


साक्षात देवी स्वरूपा थीं हम सब की दादी प्रकाशमणि जी – ब्रम्हाकुमारी शशिप्रभा


समाज जागरण संवादाता विवेक देशमुख

बिलासपुर/मस्तूरी l प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय बिलासपुर टिकरापारा की ब्रह्माकुमारीज पाठशाला मस्तूरी में संस्थान की भूतपूर्व मुख्य प्रशासिका आदरणीया राजयोगिनी दादी प्रकाशमणी जी की 15वीं पुण्यतिथि मनाई गई। इस अवसर पर ब्रम्हाकुमारी शशिप्रभा,ब्रम्हाकुमारी नीता व उपस्थित साधकों ने दादी जी के गुणों को याद कर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किया l ब्रम्हाकुमारी शशिप्रभा ने दादी जी की विशेषताओं से साधकों को अवगत कराते हुए कहा कि
दादीजी मातृवात्सल्य की धनी रहीं। संस्था के साकार संस्थापक पिताश्री ब्रह्माबाबा ने 1969 में संस्था की बागडोर उन्हें सौंपी। दादीजी जी ने इस संस्था को परिवार की तरह सम्भाला। उनके अंदर सभी के प्रति समभाव था, कभी किसी के प्रति किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं था। विश्व में शांति की स्थापना के उनके अथक प्रयासों से संयुक्त राष्ट्र ने उन्हें शान्तिदूत पुरस्कार
से सम्मानित किया। 38 वर्षों के उनके नेतृत्व व कुशल मार्गदर्शन में संस्था के द्वारा परमात्म संदेश को केवल भारत ही नहीं अपितु विश्व के अनेक देशों तक पहुंचाया गया।दादी जी की पुण्यतिथि को विश्व-बंधुत्व दिवस के रूप में मनाया जाता है। दादी जी गुणों व विशेषताओं की खान थी l उनके अंदर निरंकारीता, सबके साथ समान व्यवहार, इकोनॉमी, एक भगवान पर भरोसा, रमणीक व विशाल दिल, उमंग उत्साह से भरपूर, सदा मां के समान पालना का गुण, सत्यता आदि गुण थेl दादी जी एक मुलाकात में ही सभी का दिल जीत लेती थी l दादी जी अनेक प्रकार की समझाइश देते हुए उनके अवगुणों को कभी भी अपनें चित पर नहीं रखती थीl साक्षात देवी स्वरूपा थी हम सबकी दादी प्रकाशमणि जी l