“सलेम” अन्दर तो “मौर्य” बाहर क्यो ? बांकि के 8 बाहर क्यो ?

समाज जागरण

ऐसे तो नेताओं नें एक “जुमला” बना लिया है कि हम सभी धर्मों का सम्मान करते है। सभी धर्म कौन कौन से है ? धर्म क्या है और उसे धारण करने वाले को क्या कहते है? क्या धर्म में किसी को लूट-पाट, हत्या, बलात्कार जैसी कुकर्म करने वाले और ऐसे लोगों को अपना आदर्श मानने वाले भी किसी धर्म का हिस्सा है ?

सनातन धर्म हमेशा से लोगों के लिए साफ्ट तारगेट रहा है। सबसे ज्यादा टारगेट तो इसे सनातन से जुड़े लोगों नें ही किया है। जबकि एक ऐसे भी विचारधारा के लोगो दुनिया में तेजी से अपना विस्तार कर रहा है जिसमें मार-काट हत्या बलात्कार तो मौलिकता में है या कही तो उस विचारधारा का प्रस्तावना ही यही है।

“भरत” के भारत में मार्यादा पुरुषोतम राम हमेशा से अपने मर्यादा के लिए पुज्यनीय रहा है। राम के चरित्र और मर्यादा को ही “रामचरितमानस” मे रेखांकित किया गया है। एक ऐसा मर्यादा जिसमें समर्पण है त्याग है। जिसे अपनाने बस से ही मानव जीवन धन्य हो जाते है।

लेकिन आजकल राम के चरितमानमस ” रामचरितमानस ” पर ही सवाल खड़े किये जा रहे है। जहाँ एक तरफ उसके प्रतियाँ जलाने का काम किया जा रहा है वही दूसरी तरफ नेता सिर्फ अपने स्वार्थ के लिए बैन करने पर भी जोर लगा रहे है। यह सब सिर्फ इसलिए कि एक विशेष वर्ग का वोट हासिल करके किसी भी प्रकार से सत्ता की मलाई चाटी जाय।

हाल ही में “रामचरितमानस” के प्रतियाँ जलाकर सनातन धर्म से जुड़े लोगों का भावनाओं को आहत किया गया है। जिसके लिए जहाँ एक तरफ हिंदू संगठनों नें विरोध किया है वही बड़ी आंदोलन की चेतावनी भी दी गई है। वही पुलिस नें एफआईआर भी दर्ज किया गया है। टवीटर से मिले जानकारी के अनुसार “सलेम” नामक व्यक्ति को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है।

अब सवाल यह उठ रहा है कि एफआईएआर में “सलेम” का नाम तो 9वें नंबर पर है। 10वें नंबर स्वामी प्रसाद मौर्य है। तो आखिर सिर्फ सलेम को ही क्यो गिरफ्तार किया गया है स्वामी प्रसाद मौर्य को क्यो नही ?क्या किसी नेताजी को देश में दंगा फैलाने, जातिगत राजनीतिक करने और आपसी सौहार्द बिगाड़ने का प्रमाण पत्र संसद और विधानसभा देती है। अगर सलेम को गिरफ्तार किया गया है तो बांकिं के 9 कब गिरफ्तार होंगे?

हालांकि स्वामी प्रसाद मौर्य ने पलटी मारते हुए कहा है कि “रामचरितमानस” से उनको कोई लेना देना नही है। उनका सिर्फ रामायण के एक विशेष चौपाई से है। खैर नेता है तो पलटी मारने की कला तो बखूबी जानते है, यही कारण है कि हाथी छोड़ कमल को थामा और अब साइकिल पर सवार है। अब यह तो “स्वामी” ही जानेंगे की साइकिल को धक्का मारने की कोशिश कर रहे है या फिर बीजेपी को अन्दर अन्दर फायदा पहुँचा रहे है।

खैर यह सवाल तो हिंदू और तथाकथित हिंदुओं के लिए सोचनीय विषय है कि क्या कुछ लोग के राजनीतिक फायदे के लिए आप लोग ऐसे ही लड़ते रहेंगे या फिर मिलकर भारत को विश्वगुरु के रूप में अग्रसर करेंगे। सवाल तो समाजवादियों से भी है जिन्होंने पिछले साल रामलीला करवाकर खूब नाम कमाया है। अपने मंच पर सभी को स्थान दिया जिसके लिए काफी सराहना मिली थी। तो क्या आने वाले साल मे “रामलीला” मंचन जारी रहेगा या फिर पार्टी हाईकमान के आदेश के अनुसार वह भी रामचरितमानस के प्रति जलाकर पार्टी के लिए वोट हासिल करेंगे।

क्या योगी पुलिस मामले को संज्ञान लेते हुए एक सलेम को तो गिरफ्तार कर लिया है लेकिन मौर्य वर्मा और यादव बाहर घुम रहे है। क्या यह पुलिस के लिए असफलता है या फिर सोची समझी राजनीतिक सतरंज ? जिसमें “सलेम” को मोहरा बनाया जा रहा है फिर तो यह भी सवाल उठेगा कि वह मुसलमान है इसलिए उसको गिरफ्तार किया गया है।