नमस्कार मै रमन कुमार
कोई राणा सांगा को देश भक्त बता रहा है तो कोई गद्दार | सड़क से लेकर संसद तक कोहराम मचा हुआ है | सोशल मीडिया app और व्हाट्सप्प यूनिवर्सिटी के छात्र इसमें ज्यादा दिलचस्पी दिखा रहे है. दिल्हाने मे चाहिए क्यूंकि यही मौका भी है यही दस्तूर भी |
देश भक्ति के शोर शराबे आपके लिए क्या मायने रखते है हमें नही पता लेकिन वर्तमान सत्ता धरी पार्टी के लिए इसका बहुत मायने है. क्यूंकि आप इसी बहाने पार्टी के लिए जाति बनकर लड़ते रहिये और सरकार से बेरोजगारी, अपराध, और रुपये के गिरते मूल्य सवाल मत पूछिए |
कौन देश भक्त और कौन गद्दार है ये जाति मे लड़ने से नही बल्कि इतिहास पढ़ने से तय होगा. जाहिर सी बात है राणा सांगा किसी का आदर्श हो न हो लेकिन औरंज़ेब तो किसी का भी आदर्श नही हो सकता है. जिसने सत्ता के लिए पिता को कैद मे रखा और भाई को नंगा घुमाया और सर कलम कर दिया वो अगर किसी का भी आदर्श है तो कम से कम यह तो कह सकते है की कही न कही उसका मानसिक दिवालियापन हो गया है .
देश भक्तो से और गद्दारों से इतिहास के पन्ने भरे पड़े है | सोशल मीडिया और ट्विटर पढ़ने से आप इतिहास के बारे मे पूर्ण जानकारी प्राप्त करने की ओर अग्रसर होने के बजाय किताबों मे पढ़िए. इतिहास को अपने रूचि से पढ़िए मतलब से नही. इतिहास के पन्नों मे जातिवादी की खोज करेंगे तो आपको भी रानी सांगा मे गद्दारी और औरंगज़ेब मे वफादारी दिखेगा.
सपा सांसद के ब्यान को जिस प्रकार से जातिवादी एंगल बनाकर पार्टी के लिए इस्तेमाल हो रहा यह दुर्भाग्यपूर्ण है. देश के वीर बलिदानी राणा सांगा महाराणा प्रताप, शिवाजी, गुरुगोविन्द सिंह सभी के साझे इतिहास है. उसके भी जो औरंगज़ेब मे अपने पूर्वज़ को ढूंढ़ रहे है.
सत्ता पक्ष भी इसका भरपूर लाभ उठा रही है. राजनीती को एक चिंगारी की जरुरत थी आग लगाने के लिए तो पूरी नेताओं की जमात बैठी है. जितनी डिबेट टीवी पर होते है उतनी डिबेट अगर किसी यूनिवर्सिटी मे हो जाय तो संसद मे डिबेट करने की शायद जरुरत न पड़े.
खैर इस गरमा गरम बहस ने आपको अपने पड़ोसियों को गाली देने का मौका दिया है इसे गवाने मत दीजिये. आप दलित है तो सवर्णो को गाली दीजिये और सवर्ण है तो दलितों को गाली दीजिये. भूल जाइये की आज आप जिनके खून के प्यासे है कल तक उनके माँ को चाची कहते थे. उनके बहन को बहन मानते थे. दादी को दादी कहते थे. आपको जातिवाद के चश्मे से देखना है सबकुछ.
वो लोग जो जाति कार्ड खेल रहे है कल उनके पास मे नौकरी या फिर चुनाव के टिकट मांगने जाइये तो शायद आपको अहसास हो जायेगा की किसी प्रकार से आपके दिमाग़ मे ये लोग जातिवाद के चरस फुक दिया है.
बहन मायावती के एक वीडियो वायरल हो रहा है. जिसमे कह रही है की आपको एक साथ रहना है नेता तो आएंगे और चले जायेंगे. इस वीडियो को आपको देखनी भी चाहिए और लोगो को फॉरवर्ड भी करनी चाहिए. यह बात और है की बहन मायावती ने भी “तिलक तराजू और तलवार, इनको मारो जूते चार ” का नारा दी थी.
आज जातिवाद की आड़ मे दंगे की साजिश की जा रही है, वही दूसरी तरफ भाषा विवाद को भी हवा दिया गया है. हाल ही मे महाराष्ट्र से एक वीडियो वायरल हुआ है जिसमे एक व्यक्ति को इसलिए मारा जा रहा है की वह व्यक्ति मराठी मे बात नही कर रहा है. क्षमा मांगने के बाद भी सड़क छाप गुंडों ने खास बैनर तले आकर उसको पीटा. ये वही लोग करते है जिनको सिर्फ गुंडई करनी है और किसी से कोई लेना देना नही होता है. किसी न किसी पार्टी के छत्र छाया मे जीते है. जरा उन लोगो से पूछिए जो महाराष्ट्र से बाहर जाकर काम करते है और अपने परिवार के लिए दो वक्त की रोटी की व्यवस्था करते है.
यही भाषा विवाद तमिलनाडु से लेकर कर्नाटका तक है. Cm स्टालीन तमिल के समर्थन मे और हिंदी के विरोध मे इंग्लिश मे ट्वीट करते है. ये वही कांग्रेस पार्टी है जो अंग्रेजो आज़ादी दिलाने की बार करती है लेकिन अंग्रेजी से उसका कोई विरोध नही है. कर्नाटका मे बजट मे हिंदी रुपये की जगह तमिल रुपये का सांकेतिक प्रयोग होना ये दिखता है की देश के आवो हवा मे जहर घुल गया है.
आप जाति और भाषा मे उलझते रहिये और नेता आपके लिए भले ही रोजगार की व्यवस्था न करें लेकिन अपने लिए वेतन से लेकर कमीशन तक के पूरा प्रबंध करने मे लगे है. आपको 500 रुपये के बिजली मुफ्त देकर अपने लिए करोड़ों इकट्ठा कर रहे है. कभी आपने सोचा है की नेता रातो रात इतनी अमीर कैसे हो जाते है. कभी जातिवाद और भाषावाद से फुर्सत मिले तो अवश्य सोचियेगा.