नोएडा अथॉरिटी में मुआवजा घोटाला : एसआईटी के रडार पर दो दर्जन अफसर, फर्जी साइन को लेकर होगी पूछताछ

एसआईटी के रडार पर दो दर्जन अफसर, फर्जी साइन को लेकर होगी पूछताछ

सुपरटेक के ट्विन टॉवर मामले के बाद मुआवजा वितरण फर्जीवाड़े (Compensation Scam) में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) नोएडा प्राधिकरण (Noida Authority) पर तल्ख टिप्पणी कर चुकी है। इससे प्राधिकरण के अधिकारियों की भूमिका जांच के घेरे में आ गई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि नोएडा प्राधिकरण के एक-दो अधिकारी नहीं, पूरा तंत्र ही भ्रष्टाचार में डूबा है। इसका जीता जागता उदाहरण नोएडा अथॉरिटी में दिखने लगा है। 100 करोड़ से भी अधिक मुआवजा घोटाले की जांच एसआईटी (SIT) कर रही है। अब तक करीब एक हजार पुरानी फाइलों को खंगाला गया है। इसमें फर्जी तरीके से साइन किए अधिकारियों के दस्तावेज एसआईटी के हाथ लगे हैं। इन अधिकारियों को कभी भी पूछताछ के लिए बुलाया जा सकता है। पूछताछ के दौरान इन अधिकारियों और कर्मचारियों के हस्ताक्षर का मिलान भी किया जाएगा।

कोर्ट की फटकार के बाद बढ़ाया जांच का दायरा
सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद एसआईटी (SIT) ने बीते 10-15 सालों में बांटे गए 100 करोड़ के मुआवजा घोटाले में अपनी जांच का दायरा बढ़ा दिया है। लगातार चौथे दिन भी एसआईटी की टीम ने अथॉरिटी में जांच की। इस तरह जांच का दायरा बढ़ने पर कई और गड़बड़ियां पकड़ी गई हैं। दूसरी तरफ एसआईटी ने फाइलें खंगालने के बाद एक सूची तैयार की है। जमीन अधिग्रहण, आपसी समझौते और न्यायालय के आदेश पर कितना मुआवजा दिया गया है, इसका मिलान प्राधिकरण की सालाना बैलेंस शीट से भी कराया जा रहा है।

पूछताछ के बाद रिपोर्ट होगी तैयार
एसआईटी ने इस घोटाले की जांच में अब तक 23 कर्मचारियों की सूची भी तैयार की है। इनको अब पूछताछ के लिए तलब करने को नोटिस जारी करने जा रही है। स्पेशल इन्वेस्टीगेशन टीम ने जनवरी 2015-2016 की मुआवजा की फाइलों पर दस्तखत करने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों से इस मामले में पूछताछ के बाद अपनी रिपोर्ट पेश करेगी। इन लोगों को पूछताछ के लिए तलब करने की तैयारी हो रही है, उनमें तत्कालीन सीईओ से लेकर भूलेख विभाग, वित्त, नियोजन विभाग के अधिकारी और कर्मचारी शामिल हैं। बता दें कि एसआईटी की सदस्य मेरठ मंडल की कमिश्नर सेल्वा कुमारी जे. और एडीजी मेरठ राजीव सभरवाल ने खुद जांच की कमल संभाली हुई है। चर्चाओं के मुताबिक, जांच समाप्त होने तक 100 करोड़ का फर्जी मुआवजा घोटाले का आंकड़ा 500 करोड़ रुपए तक पहुंच सकता है।

क्या है मामला
नोएडा के गेझा तिलपताबाद गांव में पुराने भूमि अधिग्रहण पर गैरकानूनी ढंग से 100 करोड़ रुपये से अधिक मुआवजा देने के मामले में उत्तर प्रदेश सरकार ने स्पेशल इन्वेस्टीगेशन टीम (एसआईटी) का गठन किया है। इस एसआईटी में तीन अफसर जांच में अहम भूमिका निभाएंगे। सोमवार को एसईटी की टीम ने अथॉरिटी में डेरा डाल दिया है। अथॉरिटी के अफसर जांच टीम की ओर से मांगी गई तमाम जानकारियां उपलब्ध करा रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने किसानों को अतिरिक्त मुआवजा बांटने के मामले में विधि विभाग के सिर्फ दो अधिकारियों को दोषी मानने से इंकार कर दिया और कहा कि इस मामले कई अन्य अधिकारियों की संलिप्तता है, जिसकी गहनता से जांच होनी चाहिए। इसी जांच को अंजाम देने के लिए एसआईटी नोएडा प्राधिकरण पहुंची है।

प्राधिकरण को बड़े राजस्व का नुकसान
प्रदेश सरकार ने इस मामले में जांच के लिए जो कमेटी बनाई है, उसमें चेयरमैन बोर्ड ऑफ रेवेन्यू के अलावा कमिश्नर मेरठ, एडीजी मेरठ जोन को भी शामिल किया गया है। प्राधिकरण में किसानों को अतिरिक्त मुआवजा वितरण करने में बड़ी अनिमियतता सामने आई। जिसमें विभिन्न प्रकरणों में साठगांठ करके समझौते के आधार पर अधिकारियों द्वारा करोड़ों रुपये की अतिरिक्त राशि का भुगतान मुआवजे के लिए रूप में किया गया। इसके लिए चार गांवों की जांच की गई। जिसमें अकेले गेझा तिलपताबाद के 15 प्रकरणों में करीब 100 करोड़ 16 लाख 81 हजार रुपये का अतिरिक्त मुआवजा देकर प्राधिकरण को बड़े राजस्व का नुकसान पहुंचाया गया। इन सभी मामलों को सूचीबद्ध किया जा चुका है