हड़िया में 50 हजार से अधिक लोगों का होता है जुटान, फिर भी शासन-प्रशासन की तरफ से कोई व्यवस्था नहीं*

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*रीता कुमारी, ब्यूरो चीफ*

नवादा(बिहार)। जिले के नारदीगंज प्रखंड क्षेत्र का द्वापरयुगीन हड़िया सूर्यमंदिर के समीप अर्घ्य के लिए 50 हजार से अधिक छठव्रती जुटते हैं, लेकिन, सुविधा के नाम पर उनके लिए यहाँ कोइ ठोस व्यवस्था नहीं है। रात में बिजली जाने पर छठव्रतियों और उनके साथ आये लोगों को मोमबती के सहारे रहना पड़ता है।
हड़ि़या स्थित प्राचीन सूर्यमंदिर के समीप चरौल की रीता देवी अर्घ्य प्रदान करने के लिए आयी हैं। वह एक पेड़ के नीच शरण ले रखीं हैं। साथ में उनकी बेटी और परिजन भी हैं। रीता बताती हैं कि उनकी बेटी तकलीफ में थी। मन्नत मांगी थी, पूरी हो गयी ।
लिहाजा, वह पिछले छह साल से हड़िया में अर्घ्य प्रदान करने के लिए आ रही हैं। यहां कोई सुविधाएं नही हैं। इसके चलते काफी दिक्कत होती है। धर्मशाला है, लेकिन कमरा कम रहने के कारण जो पहले आते हैं, उन्हें मिल जाता है। यहां 50 हजार से अधिक लोग जुटते हैं, लेकिन मात्र चार शौचालय हैं। दिन में भी शौच जाना मुश्किल होता है। रात्रि में बिजली कट जाती है तो मोमबती के सहारे रहना पड़ता है। पेयजल के लिए मुक्कमल व्यवस्था नहीं है। रीता कहती हैं कि वह यह मानकर चलती हैं कि कष्टी के लिए आयी हैं इसलिए थोड़ा कष्ट होगा। भगवान भरोसे रह लेती हूं। रीता अकेली ऐसी व्रती नहीं हैं जिनके समक्ष ऐसी स्थिति है। जिले के नारदीगंज प्रखंड के हड़िया स्थित द्वापरकालीन सूर्यमंदिर के समीप छठ के लिए पहुंचनेवाले अधिकांश लोगों की यही कहानी है।
रोह रतोई की कौशल्या देवी कहती हैं- दो साल से आ रही हूं, जहां जगह मिल जाती है, ठहर जाती हूं। दिक्कत तो है। लेकिन कष्टी देने आती हूं, इसलिए जो कष्ट होता है, उसे व्रत का हिस्सा मान लेती हूं।
नरहट के आदर्श गांव खनवां की रेखा देवी कहती हैं छह साल से आ रही हूं। इतने सालों में सरकार और प्रशासनिक स्तर पर कोई व्यवस्था नही दिखती है। स्थानीय लोग सक्रिय रहते हैं। इसलिए थोड़ी सहूलियत हो जाती है।

*अधिकारी, जनप्रतिनिधि नहीं दिखाते रुचि*

ग्रामीणों का कहना है कि हड़िया प्राचीन सूर्य मंदिर है। बिहार के अलावा झारखंड और पश्चिम बंगाल के लोग जुटते हैं। लेकिन सरकार और प्रशासन छठव्रतियों को उन्हें भगवान भरोसे छोड़ देते हैं।
अविनाश और पुरुषोतम कहते हैं कि ग्रामीण युवाओं की एक कमिटि है, जो लोगों से सहयोग राशि एकत्रित कर व्रतियों की सुविधा उपलब्ध कराने की कोशिश करती है। साफ-सफाई, लाइट और पानी आदि की व्यवस्था की जाती है।

*श्रीकृष्ण के पुत्र साम्ब ने बनवाया था यह मंदिर*

हड़िया सूर्यमंदिर के पुजारी वन्दन पांडेय कहते हैं कि श्राप से मुक्ति के लिए श्रीकृष्ण के पुत्र साम्ब ने इस मंदिर को बनवाया था। मगध सम्राट जरासंध की पुत्री धन्यावती यहां पूजा करने आती थीं।
पुजारी संजय पांडेय कहते हैं कि यह मंदिर कुष्ठ निवारण से मुक्ति और पुत्र प्राप्ति के लिए ख्यात है। सरोवर में स्नान कर भास्कर की पूजा से उनकी मुरादें पूरी होती है।
पुजारी विनोद पांडेय के मुताबिक छठ के अलावा प्रत्येक रविवार को सैकड़ों लोग भगवान भास्कर की पूजा के लिए यहाँ आते हैं।