शासनादेश के बाद भी रेडियोलाजिस्ट ने नहीं संभाला पदभार
– पिछले एक वर्ष से विभाग पर लटका है ताला, मरीज परेशान

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– गोरखपुर से डा. विजय सिंह को जनवरी माह में किया गया था रिलीव

आशुतोष चतुर्वेदी, ब्यूरो चीफ
दैनिक समाज जागरण

मऊ : जिला अस्पताल में पिछले एक वर्ष से रेडियाेलाजिस्ट की कमी शासन के आदेश के बाद भी नहीं पूरी हो पाई। इस विभाग पर एक वर्ष से ताला लटका है। पिछले एक वर्ष से डा. नवीन सिंह के वीआरएस लेने के बाद से यह पद लगातार खाली चल रहा है। वहीं शासन के आदेश पर 19 जनवरी को गोरखपुर में तैनात डा. विजय कुमार सिंह को जिला अस्पताल में रेडियोलाजिस्ट के पद पर तैनाती के लिए आदेशित किया गया था। गोरखपुर से रिलीव होने के बाद भी अभी तक उन्होंने यह का पदभार ग्रहण नहीं किया है। इससे अभी भी मरीजों की समस्या जस की तस बनी हुई है। खासकर मेडिकोलीगल के केस को लेकर समस्याएं कम नहीं हो रही है।
रेडियोलाजिस्ट की कमी को लेकर जनपद की समस्या कम होने का नाम नहीं ले रही है। दो वर्ष से पद खाली होने के बाद बलिया से डा. नवीन सिंह को यहां के लिए स्थानांतरित किया गया था। इसके बाद पिछले वर्ष जनवरी में उन्होंने वीआरएस ले लिया, जिसे शासन से मार्च माह में स्वीकार कर लिया। इसके बाद से जिला अस्पताल में रेडियोलाजिस्ट का पद खाली चल रहा है। विगत दिनों शासन के निर्देश पर नौ जनपद के लिए रेडियोलाजिस्ट की नई तैनाती की गई थी। इसके क्रम में गोरखपुर में तैनात डा. विजय कुमार सिंह को जिला अस्पताल स्थानांतरित कर गोरखपुर से रिलीव कर दिया गया था, लेकिन आदेश के दो सप्ताह बाद उन्होंने भी तक यहां पदभार ग्रहण नहीं किया है। अस्पताल प्रशासन के अनुसार अस्पताल में मेडिकोलीगल वाले केस को अभी आजमगढ़ से लेकर वाराणसी का चक्कर लगाना पड़ रहा
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मानसिक रोग चिकित्सक भी मिले
जिला अस्पताल को नया मानसिक रोग चिकित्सक मिल गया है। अब ऐसे मरीजों को अस्पताल में बेहतर उपचार मिलेगा। विगत दिनों सीएमओ को सीएचसी व पीएचसी पर तैनात चिकित्सक केे स्थानांतरण का अधिकार मिलने के बाद से यहां स्थानांतरित किया गया था। अब रतनपुरा में तैनात मानसिक रोग विशेषज्ञ डा. रविशंकर पांडेय ने मंगलवार को अपना पदभार ले लिया है। हालांकि बड़रांव में कार्यरत एमडी डा. दीपक मिश्रा का भी स्थानांतरण यही किया गया है। लेकिन उन्होंने अभी तक पदभार नहीं संभाला है।
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रेडियोलाजिस्ट डा. विजय कुमार सिंह ने अभी तक अस्पताल में पदभार नहीं संभाला है। मेडिको लीगल के केस को लेकर अभी भी समस्या जस की तस बनी हुई है।
– डा. नाहिदा खातून सिद्दकी, सीएमएस जिला अस्पताल।